उत्तर प्रदेश

इस मंदिर में सिगरेट जलाकर मांगी जाती है मनोकामना

कंकरखेडा में स्थित है धन्ना बाबा का मंदिर, चार सौ साल पुराना है मंदिर

-केपी त्रिपाठी

मेरठ। मजहब या धर्म कोई भी हो अपने भगवान और देवता में अस्था सभी लोग रखते हैं। उनकी पूजा भी अपने सांप्रदाय और धार्मिक अनुष्ठान के अनुसार करते हैं। कोई नारियल और फूल चढाता है तो कोई बताशा और अगरबत्ती जलाकर अपने देवता को प्रसन्न करते हैं। पूजा का मकसद एक ही होता है कि लोग अपने परिवार, समाज और देश में तरक्की और सुख-समृद्वि की कामना करते हैं। आस्था इतनी प्रगाड होती है कि देवता को प्रसन्न करने के लिए लोग कुछ भी कर सकते हैं। इन सब के बीच समाज में एक देवता ऐसे भी हैं। जिनसे अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए लोग उन देवता को प्रसन्न करने के लिए लोग सिगरेट जलाते हैं।

मेरठ के कंकरखेडा में करीब 400 साल पुरान श्री धन्ना बाबा का मंदिर है। यह मंदिर गिहारा समाज का है। मंदिर के महंत नरेश कुमार के अनुसार किसी जमाने में यह कंकर खेडा कंजर खेडा के नाम से जाना जाता था। यहां पर गिहारा समाज के लोग रहते थे। नरेश कुमार के अनुसार यहां पर 400 साल पहले हैजा फैला था। जिसमें गिहारा समाज के सैकडों लोग हैजा की चपेट में आए और मारे गए। उस समय धन्ना बाबा ने हैती माता को प्रसन्न किया और तीन वचन माता से लिए। जिस पर माता ने उन्हें कहा कि गिहारा समाज के लिए एक मंदिर बना और उसके चारो तरफ चिलम का धुंआ कर जिससे ये बीमारी दूर हो जाएगी। धन्ना बाबा ने ऐसा ही किया। कुछ दिन बाद धन्ना बाबा इसी मंदिर में ईश्वर लीन हो गए। उनकी समाधि इसी मंदिर में बनी हुई है। तभी से इस मंदिर में गिहारा समाज के लोग सिगरेट जलाकर अपनी मुराद मांगते हैं और पूरी होने पर यहां पर सुअर की बलि चढाते हैं।
दूर-दूर से आते है श्रद्भालु- गिहारा समाज के इस मंदिर में हर रविवार को भंडारा होता है और दूर-दूर से श्रद्भालु आते है। रविवार को दिन भर इस मंदिर में भीड लगी रहती है। मान्यता है कि लोगों की मुराद पूरी होने के बाद मंदिर में सिगरेट और शराब चढाने के साथ ही बलि भी दी जाती है।

 

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