इस महीने परिवार के साथ घूमने की कर रहे हैं प्लानिंग, तो करसोग वैली है बेहतरीन जगह
मौसम का पहला सेब आप तक करसोग वैली से ही पहुंचता है। यह तत्तापानी से तकरीबन 50 किमी. दूरी पर स्थित है। इस वैली का अपना इतिहास है। करसोग का नाम कर+सोग इसलिए पड़ा था, क्योंकि करसोग (जो चक्रनगरी के नाम से इतिहास में दर्ज है) में रोजाना एक बलि बकासुर नाम के राक्षस को दी जाती थी। बकासुर राक्षस का बड़ा आतंक था। उस स्थिति में गांव में हर रोज एक घर में सोग (शोक यानी गम) रहता था। इसलिए इस जगह का नाम करसोग पड़ा।
महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम द्वारा बकासुर का वध किए जाने से इस क्षेत्र में शांति स्थापित हुई। आज करसोग वैली सेब के पैदावार के लिए पूरे भारत में जानी जाती है। यहां का सेब बहुत स्वादिष्ट होता है। करसोग में जुलाई माह के आखिर से ही सेब की पैदावार शुरु हो जाती है। यहां के सेब की मांग दक्षिण भारत में भी बहुत है। यह 25 किलो की पेटी के हिसाब से भेजा जाता है।
शॉपिंग है खास
करसोग वैली से आप लेटुस, बेल पेपर, जुकिनी, पार्सले, ब्रोकली आदि खरीद सकते हैं। करसोग में स्थानीय लोग बांस से बहुत सुंदर सजावटी सामान बनाते हैं। आप शिमला के ऐतिहासिक चर्च का छोटा मॉडल यहां से ले जा सकते हैं। यहां से हिमाचली ट्रेडिशनल टोपी और हैंडीक्रॉफ्ट का सामान भी लिया जा सकता है। इसी दुकान के बराबर में हिमाचली पारंपरिक भोजन जैसे-सिड्डू, चटनी, मक्के की रोटी, दाल आदि का रेस्टोरेंट भी इन्हीं महिलाओं द्वारा चलाया जाता है।
कब और कैसे जाएं
यहां आने का प्लान आप साल में कभी भी कर सकते हैं। अगर आप यहां सेब की बागवानी देखना चाहते हैं तो बरसात के मौसम में आपको जरूर यहां आना चाहिए। जब बारिश की बौछारों में भीगने का मन हो तो यहां आना शानदार अनुभवन होगा। यहां आने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट शमिला है। रेलमार्ग से आना चाहते हैं तो शिमला रेलवे स्टेशन ही यहां सबसे करीब है।