इस वर्ष 33 घंटे का निर्जला जिउतिया व्रत करेंगी महिलाएं
ज्योतिष : संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी 21 और 22 सितंबर को जिउतिया (जीमूतवाहन) का व्रत रखेंगी। लगभग 33 घंटे के इस व्रत में व्रती निर्जला और निराहार रहती हैं। सनातन धर्म में इस व्रत का खास महत्व है। व्रत से एक दिन पहले सप्तमी 20 सितंबर को महिलाएं नहाय-खाए करेंगी। गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद मड़ुआ रोटी, नोनी का साग, कंदा, झिमनी आदि का सेवन करेंगी। व्रती स्नान – भोजन के बाद पितरों की पूजा भी करेंगी। सूर्योदय से पहले सरगही-ओठगन करके इस कठिन व्रत का संकल्प लिया जाएगा। व्रत का पारण 22 सितंबर की दोपहर में होगा।
इस बार शनिवार 21 और रविवार 22 सितंबर को जिउतिया का व्रत रखेंगी। आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी 21 को पूरे दिन और 22 सितंबर की दोपहर तीन बजे तक है। अरसे बाद जिउतिया व्रत 24 घंटे से अधिक समय का है। रविवार 22 सितंबर को दोपहर तीन बजे व्रती पारण करेंगी। स्नान, भोजन व पितर पूजा से होगी शुरुआत पितृपक्ष में जिउतिया व्रत के पड़ने से व्रती महिलाएं आश्विन कृष्ण सप्तमी शुक्रवार को स्नान करके पितरों की पूजा से इस महाव्रत की शुरुआत करेंगी। राजधानी के गंगाघाटों पर व्रती महिलाओं व उनके परिजनों का जुटान होगा। स्नान के बाद भोजन ग्रहण करेंगी व फिर पितरों की पूजा। व्रत से एक दिन पहले आश्विन कृष्ण सप्तमी शुक्रवार को व्रती महिलाएं भोजन में मड़ुआ की रोटी व नोनी की साग बनाकर खाएंगी। आचार्य विपेंद्र झा माधव के मुताबिक व्रती संतान की खातिर मड़ुआ रोटी व नोनी साग का सेवन करती हैं। मड़ुआ व नोनी साग उसर जमीन में भी उपजता है। इसी तरह उनकी संतान की भी किसी भी परिस्थिति में रक्षा होगी। जिउतिया व्रत में सरगही या ओठगन की परंपरा भी है। ज्योतिषी पीके युग ने बताया कि व्रती महिलाएं 21 सितंबर को सूर्योदय से पहले सुबह चार बजे चाय,शरबत या ठेकुआ, पिरकिया आदि का सेवन करेंगी।