पुरुषों में तेजी से बढ़ रही है कैंसर से भी खतरनाक ये बीमारी
नई दिल्ली : WHO की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों में भारत समेत कई एशियाई देशों के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं।
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यह कैंसर पुरुषों की प्रोस्टेट ग्लैंड में होता है। अखरोट के आकार की यह ग्लैंड युरेथरा (यूरिन की नली) के चारों ओर होती है। हालांकि यह कैंसर आमतौर पर 50 साल की उम्र के बाद होता है, लेकिन यंग एज से ही सावधानी बरती जाए, तो इसके खतरे को टाला सकता है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि फेफड़े और मुंह के कैंसर के बाद प्रोस्टेट कैंसर इंडिया में सबसे ज्यादा और तेजी से फैल रहा है। प्रोस्टेट कैंसर के संकेत क्या हैं और क्या है इसका इलाज, हमने जाना इंदौर के मशहूर होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ. एके द्विवेदी से।
उन्होंने बताया कि अगर समय रहते इस कैंसर के संकेतों को पहचान लिया जाए और ट्रीटमेंट शुरू करें, तो यह परेशानी खत्म हो सकती है वो भी बिना किसी दर्द और ऑपरेशन के।
महिलाओं को ज्यादा होती है यूरिन में जलन की दिक्कत-
प्रोस्टेट का साइज़ बढ़ने के कारण धीरे-धीरे प्रोस्टेट कैंसर या प्रोस्टेट का एडिनोकासिनोना हो सकता है इसलिए समय रहते बीमारी को बढ़ने से रोकने की जरूरत है।
कई का यह सोचना है कि यूरिन की समस्या सिर्फ प्रोस्टेट के कारण पुरुषों में ही होती है जबकि आंकड़े देखें तो पता चलेगा कि पुरुषों से ज्यादा महिलाओँ में यूरिन में जलन या यूरिनरी इन्फेक्शन की समस्या ज्यादा होती है। कारण, महिलाओँ के नीचे के भाग की बनावट है। इसके चलते उन्हें बार-बार इंफेक्शन पेल्विक इन्फलामेटरी डीसिस (PID) होती रहती है।
महिला-पुरुषों में यूरिन में होने वाली दिक्कतों (जलन/दर्द/रुकावट) के मुख्य कारण-
ब्लेडर नेक ऑब्सट्रेक्शन, यूरेट्रोसील, स्ट्रिक्चर, स्टेनोसिस, प्रोस्टेटाइटिस, पथरी (स्टोन), प्रोस्टेट कैंसर, ट्यूमर, सिस्टाइटिस, पाइलोनेफ्राइटिस, सर्वाइकल कैंसर, चोट (ट्यूमा), PID (Pelvic Inflammatory Disease), UTI (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन), फाइमोसिस, यूरेथ्राइटिस, इन्फेक्शन और इन्फ्लामेशन (सूजन)।
मुझे पिछले चार सालों से प्रोस्टेट की शिकायत थी। मैंने एलोपैथी का इलाज काफी समय तक कराया फिर भी कोई राहत नहीं मिली। मैंने 3 महीने होम्योपैथी इलाज लिया, जिससे मुझे काफी फायदा हुआ। अब मुझे इसकी कोई परेशानी नहीं है। मैं अन्य लोगों से भी कहूंगा कि वे भी प्रोस्टेट या यूरिन से जुड़ी किसी समस्या के निदान के लिए होम्योपैथी इलाज लें।’
-एस आर केलकर (80),इंदौर