ईरान परमाणु समझौता बचाने के लिए ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन की बैठक
ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने के बाद शेष बचे सदस्य देश शुक्रवार को इस करार को बचाने की कोशिश के तहत यूरोपीय देश आस्ट्रिया की राजधानी वियना में बैठक करेंगे। बैठक ऐसे समय हो रही है जब ईरान ने घोषणा की है कि वह भी करार की शर्तों का पालन नहीं करेगा। 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान के साथ यह समझौता हुआ था। पिछले साल ट्रंप प्रशासन ने समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था। इसके बाद से ही विश्व शक्तियों के बीच हुए इसके भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है।
जुलाई के बाद ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस के राजदूत पहली बार ईरान परमाणु समझौते को लेकर बैठक करने जा रहे हैं। इस परमाणु करार में ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस भी शामिल हैं। मई से लेकर अब तक ईरान ने ऐसे अनेक कदम उठाए हैं, जो 2015 के समझौते की शर्तों उल्लंघन करते हैं।
इनमें यूरेनियम संवर्धन का काम भी शामिल है। अगले साल जनवरी की शुरुआत में और ऐसे ही कदम उठाने की उम्मीद है। ईरान का कहना है कि अमेरिका 2018 में इस करार से हट गया और उसने तेहरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लगा दिए, जिसके बाद समझौते के तहत उसे अधिकार है कि वह जवाबी कार्रवाई करे।
विवाद के हल की उम्मीद कम
तनावपूर्ण माहौल में होने वाली बैठक की पूर्व संध्या पर बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र को लिखी चिट्ठी में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने ईरान पर परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने का आरोप लगाया था।
ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे एक ‘हताश झूठ’ करार दिया। पर्यवेक्षकों का कहना है कि तनाव के बावजूद ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की ओर से होने वाली बैठक में विवाद समाधान प्रक्रिया शुरू करने की संभावना कम है। इस बैठक की अध्यक्षता यूरोपीय संघ की वरिष्ठ अधिकारी हेलगा-मारिया शीम्ड करेंगी।