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उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आज खत्म हुआ छठ महापर्व

नहाय खाय के साथ 24 अक्टूबर से शुरू हुआ लोक आस्था का पर्व छठ पूजा 27 अक्टूबर, शुक्रवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। छठ पूजा के चौथे दिन भक्त सुबह से ही नदी के घाटो और तालाबों के किनारे पहुंच कर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया।

नहाय खाय छठ पूजा का पहला दिन होता है वही पूजा के दूसरे दिन व्रती सूर्यास्त होने पर खरना पर खीर का भोग लगाया जाता है और 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर इसके बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न होती है।
 

छठ पूजा के आखिर दिन यानि सप्तमी को सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती अपना व्रत पूरा करते हैं और प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलते हैं फिर इसी के साथ पूजा संपन्न होती है।
 

सुबह-सुबह पानी में खड़े होकर व्रतधारियों ने सूप, बांस की डलिया में मौसमी फल, गन्ना सहित पूजन सामाग्री और गाय के दूध से भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और सुख-समृद्धि की कामना करते है।
 

छठ पूजा देश के पूर्वी हिस्से विशेषकर बिहार में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। पूरे चार दिनों तक बिहार के सभी गांवों और शहरों को सजाया और संवारा जाता है।
 

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