ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय अब 1.73 लाख रुपये हो गई है और राज्य की विकास दर प्रचलित मूल्य पर 12.63 प्रतिशत है। स्थिर मूल्य पर यह विकास दर 7.65 है जो बेहतर माने जाने वाले दहाई के अंक से कम हैं। हालांकि यह विकास दर आपदा से पहले की राज्य की विकास दर से अब भी कम है। उद्योगों को सहारा मिला है, लेकिन सेवा क्षेत्र है जिसने राज्य के आर्थिक विकास को संभाला हुआ है।
अर्थ एवं संख्या निदेशालय ने पहली बार 2011-12 को आधार वर्ष मानते हुए प्रदेश की आर्थिक स्थिति के अनुमान जारी किए हैं। अभी तक यह अनुमान 2005-2006 को आधार वर्ष मानते हुए जारी किए जा रहे थे। अनुमान के मुताबिक इस समय प्रदेश की विकास दर प्रचलित भाव (महंगाई को शामिल करते हुए) पर 12.63 तक पहुंच गई है। जून 2013 की केदारनाथ आपदा से पहले प्रदेश की विकास दर 14.42 प्रतिशत थी। जाहिर है कि प्रदेश की विकास दर आपदा की पहले की विकास दर से अभी कम है।
प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में भी निरंतर इजाफा देखने को मिल रहा है। इसमें भी आपदा का प्रभाव साफ देखने को मिल रहा है। इसमें भी वृद्धि करीब 11.13 प्रतिशत की है जो आपदा से पहले की वृद्धि दर 12.90 से कम जरूर है पर इसमें भी निरंतर इजाफा देखने को मिल रहा है।
ताजा आंकड़े राज्य सरकार को एक और स्तर पर राहत दे सकते हैं। 2015-16 में राष्ट्रीय स्तर पर विकास दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। राज्य में यह विकास दर 7.65 प्रतिशत है। इसी तरह प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर में भी राज्य का प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शन से बेहतर है।
आंकड़े इस बात की पुष्टि भी कर रहे हैं कि राज्य में यह तेज विकास सेवा एवं व्यापार क्षेत्र के कारण है। आपदा के बाद कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों और उद्योगों में सुधार आया है। बावजूद इन क्षेत्रों की विकास दर आपदा से पहले की स्थिति की तुलना में अब भी कम हैं।
2012-13 – 14.42 प्रतिशत
2013-14 – 11.37 प्रतिशत
2014-15 – 11.41 प्रतिशत
2015-16 – 12.63 प्रतिशत
प्रति व्यक्ति आय में प्रतिशत इजाफा
2012-13 – 12.90 प्रतिशत
2013-14 – 9.89 प्रतिशत
2014-15 – 9.93 प्रतिशत
2015-16 – 11.13 प्रतिशत
प्रति व्यक्ति आय
2011-12 – 1,14,279 रुपये
2012-13 – 1,29,023 रुपये
2013-14 – 1,41,783 रुपये
2014-15 – 1,55,860 रुपये
2015-16 – 1,73,213 रुपये
प्रचलित भाव: वस्तुओं की कीमत में महंगाई को शामिल करने पर सामने आई वस्तुओं की कीमत
प्रति व्यक्ति आय: प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद को कुल जनसंख्या से भाग देने पर� प्रति व्यक्ति आय का आकलन किया जाता है। प्रति व्यक्ति आय में इजाफा होने का मतलब है कि राज्य में आर्थिक विकास का लाभ लोगों को मिल रहा है। हालांकि इससे क्षेत्रीय स्तर पर विषमता सामने नहीं आती। मसलन राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय मैदानी क्षेत्रों की तुलना में अब भी बहुत कम है।