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उत्तराखंड:बागीMLAsकी अर्जीHCबाद SCमें भी खारिज,वोट का हक नहीं

एंजेंसी/ 500x500x5087-nainital-high-court01.jpg.pagespeed.ic.Wi5mwbE44_नई दिल्ली। उत्तराखंड के बर्खास्त मुख्यमंत्री हरीश रावत को सोमवार को उस समय बडी राहत मिली जब नैनीताल हाईकोर्ट ने सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। नैनीताल हाईकोर्ट का यह फैसला बहुमत परीक्षण से ठीक एक दिन पहले आया है। एकल पीठ के जस्टिस यूसी ध्यानी ने सोमवार को अपना यह फैसला सुनाया। इससे कांग्रेस के 9 बागियों को तगडा झटका लगा है। इनकी सदस्यता स्पीकर ने रद्द कर दी थी। इन्होंने सदन में वोट देने का अधिकार मांगा था।
शाम को सुप्रीमकोर्ट ने भी बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले पर रोक से इंकार कर दिया। तो मंगलवार को होने वाले बहुमत परीक्षण में ये बागी विधायक वोट नहीं डाल पाएंगे। रावत को तब 71 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 31 के आंकडे की जरूरत होगी, जो उनके लिए आसामन माना जा रहा है।
यह है बहुमत का गणित
मंगलवार को होने वाले शक्ति परीक्षण में प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) के छह विधायकों की भूमिका किंगमेर की हो गई है। इस फ्रंट के छह विधायकों में एक यूकेडी, दो बसपा और तीन निर्दलीय हैं। हालांकि भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही इस फ्लोर टेस्ट के लिए खुद को तैयार बता रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि पीडीएफ के पास ही सत्ता की चाबी है।
नौ विधायकों के बागी होने के बाद कांग्रेस के अपने विधायक 27 रह गए हैं, वहीं पीडीएफ के छह विधायक उसके साथ होने से सदन में उसके पास 33 का आंकडा हो जाता है। एक मनोनीत विधायक भी कांग्रेस का ही है, जिसको मिलाकर कांग्रेस के पास 34 विधायक हो जाते हैं। सदन में बहुमत पाने के लिए 31 विधायकों का साथ चाहिए, जो वर्तमान स्थिति के अनुसार कांग्रेस के पास है।
बता दें कि शनिवार को बागियों की चुनौती याचिका पर बहस पूरा करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के साथ जा मिले कांग्रेस के नौ विधायकों की सदस्यता स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने रद्द कर दी थी। इन विधायकों ने हाईकोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कर स्पीकर के आदेश को चुनौती दी थी।
कल सदन में बहुमत परीक्षण होना है। वहीं इस फैसला के आते ही बागी विधायकों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। दोपहर 2 बजे यह मामला सुप्रीम कोर्ट में मेंशन किया जाएगा।
दूसरी ओर, हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। कांग्रेस सरकार बनने के आसार देख कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी देहरादून पहुंच  रहे हैं। दोनों नेता कांग्रेस विधायकों संग बैठक करेंगे। बागी विधायक विजय बहुगुणा ने कहा कि हमने निर्णय की कॉपी अभी नहीं पढ़ी है। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाल दी है। इस पर 2 बजे सुनवाई होगी। सत्ता में रहने के लिए वह हर हथकंडा अपना रहे हैं। मैं चाहता हूं कि विधानसभा भंग हो। दो-तीन-चार विधायकों के मार्जिन पर क्या स्थायी सरकार चलेगी? कांग्रेस और पीडीएफ के पास मेजॉरिटी है। पूरे उत्तराखण्ड की छवि भारत में खराब हुई है। मैं दुखी हूं, हतोत्साहित हूं।
–    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक उत्तराखंड में हरीश रावत को मंगलवार यानि कल सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच सदन में बहुमत साबित करना है।
–    सभी पार्टी के विधायक 11 बजे सुबह से पहले विधानसभा पहुंच जाएंगे।
–    11 बजे विधानसभा के प्रधान सचिव हरीश रावत समर्थक विधायकों को एक तरफ आने के लिए कहेंगे।
–    रावत विरोधी विधायक दूसरी तरफ खडे होंगे।
–    विश्वास मत के पक्ष में वोट करने वाले विधायकों से प्रधान सचिव एक-एक करके अपना हाथ खडा करने के लिए कहेंगे और उनके नाम दर्ज किए जाएंगे।
–    विश्वास मत के विरोधी विधायक भी इसी तरह से अपना वोट दर्ज कराएंगे।
–    दोनों लिस्ट दोपहर एक बजे तक तैयार कर ली जाएगी।
–    11 बजे से 1 बजे तक की पूरी कार्यवाही की रिकॉर्डिंग की जाएगी।
–    विधायकों की दोनों लिस्ट और वीडियो रिकॉर्डिंग सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुबह 10:30 बजे जमा कर दी जाएगी।
–    इसके बाद सुप्रीम कोर्ट आगे का आदेश सुनाएगा।
अब तक क्या-क्या हुआ
18 मार्च-  विधानसभा में वित्त विधेयक के दौरान कांग्रेस के नौ बागी विधायक खड़े हो गए और सरकार के अल्पमत में होने की बात कहने लगे। भाजपा ने भी कांग्रेस के बागियों का साथ दिया।
18 मार्च- रात को 9 बागी विधायक भाजपा के साथ राज्यपाल से मिले, सरकार के अल्पमत में होने की बात कहते हुए सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। वहीं दूसरी ओर सरकार ने कहा कि वित्त विधेयक ध्वनिमत से पास हो गया। सरकार के पास बहुमत है।
19 मार्च- राज्यपाल ने हरीश रावत सरकार को 28 मार्च तक बहुमत साबित के लिए कहा। कांग्रेस विधानमंडल दल की मुख्य सचेतक इंदिरा ह्रदयेश ने 9 बागी विधायकों पर दल-बदल अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए स्पीकर को प्रार्थनापत्र दिया।
21 मार्च- भाजपा ने राष्ट्रपति से की सरकार बर्खास्त की मांग।
19 मार्च- 25 मार्च- बागियों ने स्पीकर पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में अर्जी दी। लेकिन हाईकोर्ट ने स्पीकर के खिलाफ याचिका खारिज की 27 मार्च। स्पीकर ने बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी।
27 मार्च- उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन अधिसूचना जारी कर दी गई। इसके बाद से यह मामला पहले हाईकोर्ट पहुंचा और अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है।
29 मार्च- कांग्रेस के 9 बागी विधायकों ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका। सदस्यता समाप्त करने के विरोध में दायर की याचिका
12 अप्रैल- बागी विधायकों की याचिका पर होनी थी सुनवाई, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 23 अप्रैल तक टाली सुनवाई।
23 अप्रैल-स्पीकर के वकीलों ने कोर्ट में रखा पक्ष, बागियों के वकीलों ने मांगा समय
25 अप्रैल- हाईकोर्ट में दोनों पक्षों के के वकीलों ने की बहस
26 अप्रैल- हाईकोर्ट ने मामले की अगली तारीख 28 अप्रैल तय की
28 अप्रैल – हाईकोर्ट ने मामले की अगली तारीख पांच मई तय की
5 मई- हाईकोर्ट ने मामले में अगली तारीख 7 मई लगाई
7 मई – हाईकोर्ट ने 9 मई तक के लिए फैसला सुरक्षित रखा
9 मई – हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया, स्पीकर के फैसले को रखा बहाल
 होने वाले शक्ति परीक्षण को विफल करने की कोशिश कर सकती है।

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