नैनीताल: भूकंप की आपदा से पूरा का पूरा शहर तबाह हो जाता है. न तो कोई घर बच पाता और न ही बचते हैं उस घर की चार दीवारों में रहने वाले लोग. खासकर पहाड़ों में रहने वाले लोग जिनकी जानमाल का खतरा हमेशा ही बना रहता है. क्योंकि न तो उनके पास ज्यादा सुविधाएं होती हैं और न ही उनके घर इतने मजबूत होते हैं कि भूकंप के झटकों को झेल पाएं. अगर पहाड़ में हर घर मिट्टी का ही बना हो और वो इतना मजबूत भी हो कि भूकंप में भी उस घर का कोई नुकसान ना हो. जरा सोचिये जब सीमेंट और सरिया से बने मजबूत घर भूकंप में ध्वस्त हो जाते है तो, फिर मिट्टी के बने घर टिक जाएं तो, कमाल की बात है.
दुनिया में सबसे खतरनाक दैवीय आपदा भूकंप होती है. जो मिनटों में ही इतनी बड़ी तबाही लेकर आती है कि सब कुछ खत्म हो जाता है. जिसके लिए दुनिया में ऐसे घरों को बनाने की शुरुआत की जा रही है, जो भूकंप में भी सुरक्षित रहे. नैनीताल जिले में मिट्टी से बने ऐसे ही घरों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिन्हें नेचुरल हॉउस कहा जाता है. पहाड़ों में पहले मिट्टी,पत्थर और लकड़ी से घर बनाये जाते रहे हैं. लेकिन. अब तेजी से पहाड़ों में सीमेंट के घर बनने शुरू हो गये. 1991 में उत्तरकाशी भूकंप में ऐसे घरों में भारी तबाही हुई थी, जिनमें मिट्टी और पत्थरों के घर सुरक्षित रहे और सीमेंट और सरिया से बने मजबूत घर भूकंप में ध्वस्त हो गए. जिसको देखते हुए नैनीताल जिले के मेहरोड़ा गांव में गीली मिट्टी फार्म में मिट्टी के घरों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
प्रशिक्षण दे रही नूतन सिंह ने बताया कि सीमेंट से बने घर शरीर को नुकसान पहुंचाते है. साथ ही वह बताती हैं कि दुनिया में अर्थ बैग, कॉब, एडोनी, टिम्बर फ्रेम और लिविंग रूफ तकनीक से घर बनाये जाते है. फिलहाल केंद्र और राज्य सरकार भी मिट्टी पत्थर से बने घरों को बनाने की बात कह रही है. लेकिन, ये घर कैसे बनेंगे ये कोई नही जानता. जिसके लिए मेहरोड़ा गांव में मिट्टी के घरों को सीखने के लिए कई प्रशिक्षु पहुंच रहे हैं. स्थानीय युवा भी इस तकनीक से घर बनाना सीख रहे हैं. साथ ही कई देशों से भी घर बनाने का प्रशिक्षण लेने के लिए लोग पहुंच रहे है.