राज्य सरकार ने संविदा, कार्यप्रभारित, दैनिक वेतन, नियत वेतन एवं आउटसोर्स पर कार्यरत हजारों कार्मिकों को झटका दिया। इन कार्मिकों को समान वेतन नहीं दिया जाएगा। ऐसे कर्मचारी नियमित कर्मचारियों की तरह समान वेतनमान पाने का हकदार नहीं हैं।
यही नहीं, भविष्य में ऐसी नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई है। किसी अधिकारी ने नियुक्तियां कीं या पारिश्रमिक का भुगतान किया तो उसकी वसूली संबंधित अधिकारी के वेतन व पेंशन से की जाएगी। आउटसोर्स से नियुक्त कार्मिकों से विभाग की अनुमति से 11 महीने अथवा कार्य समाप्ति तक अनुबंध के आधार पर कार्य लिया जाएगा। इन कार्मिकों को आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से पारिश्रमिक का भुगतान होगा। महकमों से सीधे मानदेय का भुगतान नहीं किया जाएगा।
सरकारी महकमों, स्वायत्तशासी निकायों, सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत अल्पकालिक, अंशकालिक एवं पूर्णकालिक आधार पर संविदा, कार्यप्रभारित, दैनिक वेतन, नियत वेतन एवं आउटसोर्स पर कार्यरत कार्मिकों के समान कार्य के लिए समान वेतन के तर्क को लेकर हाईकोर्ट में दस्तक देने से सरकार सकते में है।
इस याचिका के खारिज होने और हाईकोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के साथ ही सरकार ने विभिन्न विभागों में कार्यरत उक्त कार्मिकों को समान कार्य के लिए समान वेतन का हकदार नहीं मानने का आदेश मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने जारी कर दिया। साथ ही भविष्य में ऐसी कोशिशें न हों, इसके लिए सख्त प्रावधान लागू कर दिए हैं।
इन मानकों पर किया खारिज
इस शासनादेश के बाद अस्थायी कार्मिकों के लिए समान कार्य व समान वेतन के साथ ही नियमितीकरण को लेकर भी विधिक रूप से झटका लगना तय है।