उत्तराखंड की वादियों के बीच बसा है देश का आखिरी गांव ‘माणा’, स्वर्ग जैसा है नजारा
उत्तराखंड घूमने के लिए एक से बढ़कर एक जगह है, जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से हजारों लोग आते हैं। यहां की मनमोहक वादियां किसी को भी अपना दीवाना बना सकती हैं। आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है। इस जगह को भारत का अंतिम गांव कहा जाता है। समुद्र तल से 18,000 फुट की ऊँचाई पर बसे इस गांव का नाम माणा है।
इस गांव के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। यहां पर सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम होता है। इसके अलावा यहां कई प्राचीन मंदिर और गुफाएं भी हैं। बद्रीनाथ से तीन किमी की दूरी पर बसे इस गांव की सड़के पहले कच्ची थी जिस वजह से यहां ज्यादा लोग नहीं जाया करते थे, लेकिन अब सरकार ने यहां तक की पक्की सड़क बनवा दी है। अब पर्यटक आसानी से यहां आ जा सकते हैं।
जो लोग बद्रीनाथ के दर्शन के लिए आते हैं वो भारत के आखिरी गांव माणा को देखने जरूर जाते हैं। यहां कड़ाके की ठंड पड़ती है। छह महीने तो ये जगह पूरी बर्फ से ही ढकी रहती है, जिस वजह से यहां रहने वाले लोग सर्दी शुरू होने से पहले नीचे स्थित चामोली जिले चले जाते हैं। इस गांव में एकमात्र इंटर कॉलेज है, जो छह महीने माणा में और छह महीने चामोली में चलता है।
यहां आए लोग भीमपुल जरूर जाते हैं। कहा जाता है पांडव इसी मार्ग से होते हुए स्वर्ग गए थे। यहां दो पहाड़ियां थी, जिसके बीच में खाई थी। इसे पार करना बहुत मुश्किल था। उस समय भीम ने यहां दो बड़ी शिलाएं डालकर पुल बनाया था। आज भी लोग इसे स्वर्ग जाने का रास्ता समझकर इस रास्ते पर जाते हैं।
यहां आए लोग भीमपुल जरूर जाते हैं। कहा जाता है पांडव इसी मार्ग से होते हुए स्वर्ग गए थे। यहां दो पहाड़ियां थी, जिसके बीच में खाई थी। इसे पार करना बहुत मुश्किल था। उस समय भीम ने यहां दो बड़ी शिलाएं डालकर पुल बनाया था। आज भी लोग इसे स्वर्ग जाने का रास्ता समझकर इस रास्ते पर जाते हैं।
माणा में एक चाय की दुकान है जिसके बोर्ड पर लिखा है ‘भारत की आखिरी चाय की दुकान’। दूर-दूर से आए लोग इस दुकान के सामने खड़े होकर फोटो खींचवाते हैं। इस गांव से आगे कोई रास्ता नहीं जाता। थोड़ा आगे भारतीय सेना का कैंप है।