उत्तराखंड

उत्तराखंड की स्थायी राजधानी के लिए तिरंगे के साथ सड़कों पर उमड़ा जन सैलाब

गैरसैंण के राज्य की स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर रविवार को यहां आयोजित जनाक्रोश महारैली में सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। गैरसैंण राजधानी के नारों से रामगंगा घाटी गूंज उठी।उत्तराखंड की स्थायी राजधानी के लिए तिरंगे के साथ सड़कों पर उमड़ा जन सैलाब

 

आंदोलनकारी हाथों में तिरंगा लिए चल रहे थे। इस दौरान आंदोलनकारियों की अनशनकारियों को जबरन उठाए जाने और दरवाजा तोड़ने के मामले में एसडीएम से तीखी बहस हुई। कुछ आंदोलनकारी तहसील के पोर्च पर चढ़ गए। हालांकि कुछ देर बाद आंदोलनकारी स्थायी राजधानी की घोषणा के लिए 20 मार्च तक का अल्टीमेटम देते हुए नीचे उतर आए। 

कर्णप्रयाग के रामलीला मैदान में रविवार सुबह आठ बजे से ही आंदोलनकारियों के जुटने का सिलसिला शुरू हो गया। दोपहर 12 बजे रामलीला मैदान से बाजे-गाजों के साथ शुरू हुई जनाक्रोश महारैली मुुख्य मार्गों से होकर तहसील परिसर पहुंची। यहां जनसभा में वक्ताओं ने प्रशासन पर आंदोलन को कुचलने का आरोप लगाया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे केंद्रीय समिति के अध्यक्ष चारु तिवारी, भाकपा माले नेता इंद्रेश मैखुरी सहित अन्य पदाधिकारियों ने शुक्रवार रात को रामलीला मैदान में कमरे का दरवाजा जबरन तोड़ने, अनशनकारियों और समर्थकों से धक्का मुक्की को दमनात्मक कार्रवाई करार दिया। इस बात पर आंदोलनकारियों और एसडीएम के बीच तीखी बहस हुई।

कुछ आंदोलनकारी तिरंगे के साथ तहसील के पोर्च पर चढ़ गए। एसडीएम ने उन्हें नीचे आने को कहा, लेकिन वह नहीं माने। कुछ देर बाद आंदोलनकारी 20 मार्च तक राजधानी घोषित करने की मांग का अल्टीमेटम देते हुए नीचे उतर आए। आंदोलनकारियों ने शनिवार को धक्का-मुक्की को अमानवीय बताते हुए जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। करीब एक घंटे तक तहसील में प्रदर्शन करने के बाद आंदोलनकारियों ने एसडीएम स्मृता परमार के माध्यम से सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजा। इस दौरान विभिन्न जिलों और दूरदराज से आए सामाजिक कार्यकर्ता, पंचायत प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि, महिला मंगल दल ढांगा, सलियाणा, ग्वाड़, कोठार, डुग्री, कुनीगाड़ तथा खनसर घाटी, गिवांड, चौथान और लोहबा आदि तमाम पट्टियों के ग्रामीण मौजूद थे।

 
 

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