देहरादून: गर्मी के चलते भड़की आग में उत्तराखंड के 13 जिलों के जंगल चपेट में आ चुके हैं। इसमें झुलसकर अब तक छह व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। इसे काबू करने के लिए एनडीआरएफ की टीमें लगाई गई हैं। वहीं, राज्य के सभी वन कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है।
हाई अलर्ट जारी…
13 पहाड़ी जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। एनडीआरएफ के 135 लोग राज्य के अलग-अलग जिलों में आग बुझाने के काम में लगे हैं। कई इलाकों में आग पर काबू पाया भी गया है, लेकिन कुछ एक हिस्से ऐसे भी हैं जहां अभी भी आग लगी हुई है। राज्य के 4,500 वन कर्मचारी आग की घटनाओं पर नज़र बनाए हुए हैं।
890.92 हेक्टेअर से ज्यादा का जंगल तबाह
कुमांउ तथा गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में 1890.92 हेक्टेअर से ज्यादा का जंगल तबाह हो गया बताया जा रहा है। मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि एनडीआरएफ की ये टुकडियां और विशेषज्ञ दल गढ़वाल एवं कुमाऊं के ऐसे क्षेत्रों में तैनात की जायेंगी जो वनाग्नि से सर्वाधिक प्रभावित हैं। ये टुकडियां और दल प्रभावित क्षेत्र में प्रभावी रूप से तत्काल बचाव कार्य संचालित करेंगे।
उन्होंने बताया कि इसके लिये पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल नोडल अफसर के रूप में एन.डी.आर.एफ. एवं संबंधित जिलाधिकारी व मुख्य वन संरक्षक (गढ़वाल/कुमाऊं) से समन्वय स्थापित करने का कार्य करेंगे।
इस साल अब तक कुल 922 घटनायें…
प्रमुख वन संरक्षक (रिसर्च) और वनाग्नि के लिये नोडल अफसर बीपी गुप्ता ने बताया कि फरवरी में वनों में आग लगने की शुरुआत होने के बाद से प्रदेश में इस साल अब तक कुल 922 घटनायें हो चुकी हैं और इनमें एक मां-बेटा सहित पांच व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी और सात अन्य घायल हो गये। जंगलों में आग लगने की इन घटनाओं में अब तक 1890. 92 हेक्टेअर जंगल तबाह हो चुका है।
सभी जरूरी सूचनाएं वेबसाइट पर अपलोड…
मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि आगामी सात दिनों के लिए संभावित फायर पॉइंटस एवं वन क्षेत्र की स्थिति व नाम वन विभाग की वेबसाइट पर वन मुख्यालय में स्थापित सूचना प्रौद्योगिकी एवं जियोइन्फोर्मेटिक्स केन्द्र द्वारा प्रतिदिन अपलोड की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में जिलेवार वनाग्नि की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों की सूची तथा आगामी 15 दिनों के लिए मौसम के पूर्वानुमान की सभी सूचनायें वन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
मुख्य सचिव ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं के सूचना प्रसारण एवं रोकथाम हेतु वॉट्सअप एवं आपात कालीन सेवा-108 के नम्बर पहले से ही संचालित है। वनाग्नि की घटनाएं प्रकाश में आने पर कोई भी व्यक्ति संबंधित जिले के जिलाधिकारी या प्रभागीय वनाधिकारी को दे सकता है।