आडवाणी ने खुद भी कभी ऐसी सियासी तनहाई की उम्मीद नहीं की होगी। उनके करीब ढाई घंटे के दून प्रवास के दौरान पार्टी का कोई बड़ा नेता नहीं दिखा। शादी समारोह से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर आगवानी व विदा करने केसमय भी प्रदेश भाजपा का कोई रथी महारथी नहीं आया।
उत्तराखंड के निर्माण में लाल कृष्ण आडवाणी की बड़ी भूमिका थी। आज से पहले जब भी आडवाणी ने देवभूमि में कदम रखा, पूरी भाजपा अभिनंदन करने पहुंची, मगर आज कोई नहीं आया। रायवाला में चल रही भाजपा-आरएसएस की संयुक्त बैठक पार्टी के इस संस्थापक सदस्य से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई।
आडवाणी ने पार्टी की आंतरिक राजनीति में पिछले दो सालों में इतने उतार चढ़ाव देखे, लेकिन मौजूदा समय में पार्टी के मार्गदर्शक की भूमिका में होना भी उन्हें सालता है। बिहार चुनाव में हार केबाद उन्होंने समीक्षा को जरूरी बताते हुए हार के जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने को कहा तो पार्टी में भूचाल आ गया। इसके बाद स्थिति बदली और आडवाणी फिर खामोश हो गए।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट्र पर क्षेत्रीय विधायक प्रेमचंद अग्रवाल, महानगर अध्यक्ष उमेश अग्रवाल, ऊर्बादत्त भट्ट व अनिल गोयल रहे। शादी समारोह से लेकर एयरपोर्ट तक बडे़ नेताओं की गैर मौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए है। पार्टी के नेता आरएसएस की बैठक में होने का बहाना भले ही बना ले, लेकिन आडवाणी को भी भाजपा का भीष्म ऐसे ही नहीं कहा जाता।
शादी समारोह में शिरकत करने दून पहुंचे आडवाणी
भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप-प्रधानमंत्री हरिद्वार बाईपास स्थित एक होटल में आयोजित वैद्य बालेंदु प्रकाश की पुत्री के शादी समारोह में पहुंचे। शादी से एक दिन पहले आयोजित संगीत समारोह में शरीक होने आए आडवाणी ने समारोह स्थल पर काफी समय बिताया और एक-एक कर सभी अतिथियों से मिले।
इसके बाद उन्होंने वर-वधू को आशीर्वाद दिया और फोटो भी खिंचवाई। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करने से साफ इंकार कर दिया। जब वह यहां से चलने लगे तो रास्ते में ही उनकी मुलाकात प्रदेश के कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल से हुई। दोनों ने एक-दूसरे की कुशमक्षेम पूछी और फिर अग्रवाल उनके साथ गाड़ी तक आए। शाम करीब सवा छह बजे आडवाणी दून से वापस लौट गए।