राजस्व सरप्लस की जिद प्रदेश के नागरिकों के लिए अस्पताल, स्कूल, सड़क, बिजली, पानी की जरूरत पर भी भारी पड़ रही है। हाल यह है कि सरकार अपनी विकास योजनाओं का बजट कम कर राजस्व घाटे को राजस्व सरप्लस में बदलने का काम करती आ रही है। वर्तमान में प्रदेश सरकार का राजकोषीय घाटा करीब 6648 करोड़ रुपये है। यह अब तक सबसे अधिक राजकोषीय घाटा है। राज्य गठन के बाद से ही यह घाटा लगातार बढ़ता रहा है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार पिछले 19 सालों में मात्र आठ बार ही राजस्व घाटे का बजट लेकर आई है। इसका एक कारण राजस्व घाटे से राजनीतिक रूप से परहेज करना भी रहा है। छोटा राज्य होने के कारण कोशिश यही की जाती रही है कि कर रहित और राजस्व सरप्लस बजट ही लाया जाए।
इसके लिए अपने राजस्व से योजनाओं के लिए पैसा नहीं जुटाया गया और योजनाओं के लिए पैसे का इंतजाम कर्ज लेकर किया जाता रहा। सरकार का यह जादू चौथे वित्त आयोग की रिपोर्ट से कुछ हद तक सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक कायदे में सरकार को राजस्व में से योजनाओं के लिए कुछ बचाना चाहिए। लेकिन सरकार नेे योजनाओं के लिए कर्ज लिया।
इसके लिए अपने राजस्व से योजनाओं के लिए पैसा नहीं जुटाया गया और योजनाओं के लिए पैसे का इंतजाम कर्ज लेकर किया जाता रहा। सरकार का यह जादू चौथे वित्त आयोग की रिपोर्ट से कुछ हद तक सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक कायदे में सरकार को राजस्व में से योजनाओं के लिए कुछ बचाना चाहिए। लेकिन सरकार नेे योजनाओं के लिए कर्ज लिया।