नई दिल्ली। मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया और नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद काफी देर तक हंगामा होता रहा और अंत में राज्यसभा की कार्रवाई को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
आज संसद की कार्यवाही शुरू होते ही उत्तराखंड के मुद्दे पर कांग्रेस के सांसद हंगामा करने लगे। कांग्रेसी सांसदों के हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही को तीन बार रोकनी पड़ी। सबसे पहले कार्यवाही 12 बजे तक रोकी गई। फिर कार्रवाई शुरू होते ही कांग्रेस के सांसद वेल में आ गए और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर चर्चा की मांग करने लगे।
जिसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘उत्तराखंड में राजनैतिक अस्थिरता को देखते हुए राष्ट्रपति शासन का फैसला बिल्कुल सही था, राज्य सरकार अल्पमत में थी। मामला फिलहाल कोर्ट में है इसलिए उस पर चर्चा का कोई औचित्य नहीं है।’ इसके बाद काफी देर तक शोर-शराबा चलता, और अंत में उप सभापति पी.जे कुरियन ने 12:35 तक कार्रवाई को स्थगित कर दिया।
नए सांसदों ने ली शपथ
इससे पहले नवनिर्वाचित सांसद मैरीकॉम और सुब्रमण्यम स्वामी ने राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण की। वहीं दूसरी तरफ लोकसभा में भी उत्तराखंड के अलावा एनआईटी का मुद्दा छाया रहा। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आरोप लगाया कि देश में विश्वविद्यालयों का माहौल लगातार बिगड़ रहा है और इसमें मानव संसाधन मंत्रालय शामिल है।
कश्मीर एनआईटी पर कांग्रेस ने पूछे सवाल
वहीं कश्मीर एनआईटी मामले को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि वहां छात्रों पर अत्याचार किया जा रहा है और जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सरकार बताए की वहां सीआरपीएफ की तैनाती कब हो रही है।
इसके जवाब में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एनआईटी के गैरकश्मीरी छात्र वापस यूनिवर्सिटी लौट रहे हैं और 26-29 मई के बीच परीक्षा देंगे। वहीं गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि प्रशासन और छात्रों की मांग पर यूनिवर्सिटी कैंपस में सेंट्रल आर्म्ड फोर्स तैनात कर दी गई है।
इससे पहले सोमवार से शुरू हुए बजट सत्र के दूसरे भाग में कांग्रेस, लेफ्ट, जेडीयू समेत विपक्षी पार्टियों ने उत्तराखंड मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी की और हंगामे के कारण लोकसभा में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सका। जबकि राज्यसभा की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार को ‘लोकतंत्र का हत्यारा’ करार दिया था।