
इसके बावजूद आबकारी विभाग नया होलोग्राम तैयार नहीं कर पा रहा है। फिलहाल चौथी बार होलोग्राम की टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, पूर्व में तीन बार टेंडर प्रक्रिया चली, लेकिन हर बार मामला लटक गया।
आबकारी विभाग की ओर से शराब की बोतलों पर एक होलोग्राम चिपकाया जाता है, जो शराब असली होने की तस्दीक करता है। इससे नकली शराब बेचने की आशंका नहीं रहती है।
लगातार शिकायतें मिलती रही हैं कि आबकारी विभाग की ओर से लगाया जा रहा होलोग्राम कमजोर है। इसका डुप्लीकेट होलोग्राम तैयार कर नकली शराब बेचने की बातें भी सामने आई हैं।
विजय बहुगुणा सरकार के समय भी होलोग्राम कमजोर होने और नया होलोग्राम बनाने की बात चली थी। तब दो बार टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई और फिर बीच में ही लटक गई।
हरीश रावत के सीएम बनने के बाद भी एक बार टेंडर प्रक्रिया चली और फिर मामला लटक गया। अब विभाग इस कवायद में फिर जुट गया है। आबकारी आयुक्त बृजेश कुमार संत का कहना है कि उन्होंने अभी चार्ज संभाला है। इस मामले को देखेंगे और शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।