उत्तराखंड देवभूमि के कई सरकारी विभागों की लापरवाही पर सीएजी रिपोर्ट से पर्दा उठ गया है. 31 मार्च 2016 को समाप्त हुये वित्तीय वर्ष से जुड़ी रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई. रिपोर्ट के कई पहलू ऐसे हैं जिनसे सरकारी विभागों की मनमानी पर दूध का दूध और पानी का पानी हो रहा है.
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जी हां उत्तराखंड में विधानसभा सत्र के दौरान 2 मई को कैग की 31 मार्च 2016 को समाप्त हुये वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट पेश की गई. सदन में पेश की गई रिपोर्ट जब सार्वजनिक हुये तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुये. सच जानकर हैरानी हो रही है कि प्रधानमन्त्री की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का बजट खर्च करने में भी उत्तराखंड का महिला सशक्तीकरण और बाल विकास विभाग फिसड्डी साबित हुआ. कई ऐसे विभाग हैं जिनकी लापरवाही से करोड़ों के राजस्व को चूना लग गया. आइये नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ अहम तथ्यों पर.
#शिक्षा विभाग ने आरटीई के मानकों को ताक़ पर रखा
#स्कीम के तहत 7 करोड़ की धनराशि नहीं हो पाई इस्तेमाल
#छात्रों की उपस्थिति जांचे बिना 45 लाख की धनराशि बांटी गई
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#बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना पर भी सीएजी का खुलासा
#गिरते लिंगानुपात को रोकने का उद्देश्य नहीं हुआ पूरा
#केन्द्र से मिले 77 लाख में सिर्फ 20 लाख हुए रिलीज
#महिला सशक्तिकरण विभाग ने 20 लाख में से सिर्फ 8.90 लाख किये खर्च
#निर्भया योजना के तहत दो वर्षों में 1 करोड़ में से सिर्फ 23 लाख खर्च
#स्टाम्प शुल्क क्रियान्वयन में लापरवाही के चलते 128.35 करोड़ राजस्व का नुकसान
#जेएनयूआरएम के तहत 21 में से सिर्फ 6 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हुये पूरे
#85.17 करोड़ का खर्च शहरी विकास विभाग ने किया निरर्थक
#पर्यटन विकास परिषद ने 3.20 करोड़ की धनराशि का यूज़ बदला
#देहरादून के स्वास्थ्य विभाग ने 1.06 करोड़ दवा खरीद पर अधिक खर्च किये
सीएजी की रिपोर्ट में इसके अलावा कई अहम खुलासे हैं जिनपर विभागवार समीक्षा होगी. फिलहाल संसदीय कार्यमन्त्री के मुताबिक सीएजी की रिपोर्ट लोक लेखा समिति को सौंपी जा रही है, जिसके बाद विभागीय कार्रवाई होगी.
उत्तराखंड में इससे पहले भी केदारनाथ आपदा के बाद पेश की गई सीएजी रिपोर्ट पर खासा हो हल्ला हो चुका है, जिसमें सरकारी पैसे के गलत ढंग से खर्च किये जाने का जिक्र था.
हालांकि मौजूदा रिपोर्ट कांग्रेस शासनकाल के समय की है इसलिये विपक्ष के तेवर आक्रामक नहीं हैं.नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश कहती हैं कि मैंने अभी रिपोर्ट पढ़ी नहीं है जो तथ्य होंगे उनके आधार पर बोलना ठीक रहेगा.