उत्तर कोरिया को वार्ता में वापस लाने की कोशिश जारी रखने का किया निर्णय
सियोल: अमेरिका और दक्षिण कोरिया के शीर्ष अधिकारी उत्तर कोरिया को एक बार फिर उसके परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता के लिए मनाने की कोशिश करने को तैयार हो गए हैं। अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमन अपने क्षेत्रीय दौरे के हिस्से के रूप में सियोल गई हैं। उन्होंने बृहस्पतिवार को दक्षिण कोरिया के उप विदेश मंत्री चुंग यूई-योंग के साथ उत्तर कोरिया, सियोल तथा वाशिंगटन के बीच सैन्य गठबंधन और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत की।
चुंग यूई-योंग के मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, दोनों ने उत्तर कोरिया को वार्ता में वापस लाने की कोशिश जारी रखने का निर्णय किया और सहमति जताई कि कोरियाई प्रायद्वीप में पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण तथा स्थायी शांति के लिए बातचीत आवश्यक है। बता दें कि इससे पहले अमेरिका और रूस के बीच लंबे समय से परमाणु हथियारों को लेकर बातचीत शुरू होने को लेकर कोशिशें हुई थी लेकिन आपसी प्रतिद्वंद्विता और तनाव के चलते कोई प्रगति नहीं हुई थी। अब 28 जुलाई को जिनेवा में दोनों देशों के बीच एटमी हथियार नियंत्रण को लेकर पहले दौर की वार्ता होगी जिसमें हथियारों की संख्या सीमित रखने को लेकर कार्यक्रम बनाया जाना है।
रूसी अखबार कॉमेरसांत ने बताया है कि पहले दौर की वार्ता का मकसद भविष्य में हथियारों पर नियंत्रण के लिए और उनकी सीमित संख्या के लिए जमीनी कार्यक्रम बनाना है, ताकि चरणबद्ध तरीके से इनमें कमी लाई जा सके। हाल ही में जिनेवा में ही अमेरिका और रूस के राष्ट्रपतियों की द्विपक्षीय वार्ता भी हुई थी। इस वार्ता में दोनों देशों के बीच पिछले कई माह से जारी कड़वाहट को खत्म कर रिश्ते सुधारने और मजबूत करने पर जोर दिया गया। 28 जुलाई को होने वाली बैठक इसी का नतीजा है।
उधर, अमेरिका के पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं और रूस ने भी खतरनाक हथियार विकसित कर लिए हैं। दोनों देशों में इस संबंध में 8 अप्रैल 2010 को समझौता हुआ था और उस वक्त जो बाइडन अमेरिकी उपराष्ट्रपति व पुतिन रूसी प्रधानमंत्री थे। यह समझौता पराग्वे डील के नाम से जाना जाता है।