उत्तर प्रदेश और बिहार में एससी, एसटी एक्ट के खिलाफ उग्र प्रदर्शन, एमपी में ड्रोन से निगरानी
नई दिल्ली : कई राज्यों में एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्ण लामबंद हो गए हैं। एक्ट में किए गए संशोधन को लेकर कई संगठनों ने आज भारत बंद बुलाया है। बंद का सबसे ज्यादा असर यूपी, एमपी और बिहार में देखा जा रहा है। यूपी व मध्य प्रदेश में राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी है। वहीं बिहार में लोगों के साथ मारपीट की खबरें आ रही हैं। उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर ट्रेनें रोकी गई हैं। बिहार में प्रदर्शन उग्र हो गया है। कई जगहों से बंद समर्थकों व विरोधियों के बीच मारपीट की खबरें आ रही हैं। कई जिलों में प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे जाम कर दिया है। राजधानी पटना समेत कई जिलों में दुकानें बंद हैं तो वहीं आरा, मुंगेर और दरभंगा में ट्रेनें रोक दी गई हैं। यूपी के कई जिलों में धारा 144 लगा दी गई है। राजधानी लखनऊ में दुकानें बंद कर दी गई हैं। वहीं वाराणसी में लोगों ने पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। मैनपुरी और आगरा में भारत बंद के दौरान सवर्ण समाज के लोगों ने ट्रेनों को रोका। यूपी के गृह विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए कई जिलों में धारा 144 लगा दी है।
जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षकों को प्रदर्शन और बंद पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। वाराणसी में इलाहाबाद-पटना हाईवे पर में चक्का जाम के बाद लोगों ने जगह-जगह टायर फूंककर आगजनी की है। मध्य प्रदेश में भी भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। ग्वालियर में प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। एसडीएम नरोत्तम भार्गवी ने कहा ‘कई सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। हम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं। कई जगहों पर धारा 144 लगा दी गई है।’ राज्य के 35 जिलों में हाई अलर्ट जारी किया गया है। एहतियात के तौर पर सुरक्षाबलों की 34 कंपनियां तैनात की गई हैं। मुरैना जिले में लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए कारोबार बंद रखा। साथ ही शिवपुरी में भी व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखी।
ग्वालियर के श्योपुर में बंद समर्थकों ने की रैली निकाली और कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया खिलाफ नारेबाजी की। उधर, महाराष्ट्र के ठाणे में लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। बता दें कि एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन विरोध प्रदर्शनों के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी।शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटते हुए एससी/एसटी एक्ट को वापस मूल स्वरूप में बहाल कर दिया।हाल ही में ये संशोधित एससी/एसटी (एट्रोसिटी एक्ट) फिर से लागू किया है।