उत्तर प्रदेश के आम निर्यातकों की नजर चीन और ईरान के बाजार पर
लखनऊ : उत्तर प्रदेश इस बार ईरान और चीन के निर्यात बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। प्रदेश आम का 45 लाख टन सालाना उत्पादन करता है। अन्य प्रमुख आम उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और बिहार हैं। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे अल्फान्सो उत्पादक राज्य छठे और आठवें पायदान पर हैं। सालाना घरेलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश का 24-25 प्रतिशत का योगदान है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा 2017-18 के लिए उत्तर प्रदेश का योगदान 2.07 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया गया है। हालांकि 2010 में अपनी प्रख्यात आम किस्म दशहरी को भौगोलिक संकेतक का (जीआई) दर्जा मिलने के बावजूद आम निर्यात में उत्तर प्रदेश का महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे अन्य राज्यों की तुलना में कम योगदान है। उत्तर प्रदेश से आम निर्यात की स्थिति निर्यातकों और आम उत्पादकों/व्यापारियों के व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम है और इसमें राज्य सरकारों से वित्तीय या बुनियादी ढांचागत मदद नहीं मिल रही है। हालांकि राज्य के आम निर्यातक अगले महीने एक प्रोत्साहन कार्यक्रम के दौरान ईरान, चीन और ताजिकिस्तान में अपने देसी आम की किस्मों को प्रदर्शित करने की तैयारी कर रहे हैं। इस कार्यक्रम को कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा आयोजित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश स्थित एक्सपोर्ट हाउस के प्रवर्तक नदीम सिद्दीकी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि एपीडा लंबे समय से अन्य देशों में भारतीय आम ब्रांडों को प्रोत्साहित करता रहा है। उन्होंने कहा, हालांकि इस साल, उन्होंने जून में आम प्रोत्साहन कार्यक्रम की योजना बनाई है, जब प्रख्यात दशहरी आम बाजार में उपलब्ध होगा। इससे हमें सरकारी मदद के साथ नए बाजार तलाशने में आसानी होगी। भारत दुनिया का प्रख्यात आम उत्पादक है और चीन, थाईलैंड और पाकिस्तान के बाद वैश्विक उत्पादन में 40 प्रतिशत की भागीदारी रखता है।
इस बीच, भारतीय आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष इंसराम अली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रियायतों के संदर्भ में राज्य के आम उत्पादों को समर्थन दिए जाने के लिए पत्र लिखे हैं। अली ने राज्य सरकार से आम को अन्य फसलों की तरह कृषि बीमा योजना में शामिल किए जाने की मांग की है। हालांकि मजबूत सालाना उत्पादन के बावजूद भारतीय आम निर्यात मौजूदा समय में 22 लाख टन पर रुका हुआ है। भारतीय आम का निर्यात अच्छे उत्पादन के बावजूद हमेशा कमजोर रहा है क्योंकि ज्यादातर उत्पादन देश में ही खप जाता है। खाड़ी बाजार से पाकिस्तान की नजदीकी भी उन कारणों में से एक है जिनकी वजह से भारत को अपने पड़ोसी देश से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। उत्तर प्रदेश में दशहरी के अलावा आम की अन्य प्रमुख किस्मों में लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली और मल्लिका शामिल हैं। वहीं अन्य राज्यों की आम किस्मों में अल्फान्सो (महाराष्ट्र), नीलम और केसर (गुजरात), सफेदा और बादामी (आंध प्रदेश) निर्यात बाजार में बेहद लोकप्रिय हैं। सिद्दीकी ने शिकायत के लहजे में कहा, जहां अन्य राज्यों में ठोस समर्थन से यह सुनिश्चित हुआ है कि आम की किस्मों की अन्य देशों में अच्छी मांग है जबकि उत्तर प्रदेश के आम की किस्मों को पिछले कुछ वर्षों से राज्य सरकार की लगातार उदासीनता की वजह से अंतरराष्ट्रीय खरीदारों तक पहुंच हासिल नहीं हो पा रही है।