उत्तर प्रदेश के विभाजन पर अखिलेश यादव ने लिया अहम फैसला
नई दिल्ली/लखनऊ: देश के सबसे बड़े राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश के बंटवारे को लेकर समय-समय पर चर्चाएं होती रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी उत्तर प्रदेश को 4 भागों में बंटवारे की वकालत की थी। लेकिन इस मामले पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अहम फैसला लिया है। अखिलेश यादव ने राज्य के बंटवारे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेने आए अखिलेश यादव का कहना था कि कुछ चीजें केवल आर्थिक आधार पर ही नहीं देखी जानी चाहिए। उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री देने वाला राज्य है और बड़े राज्य देश हित में होते हैं। बड़े राज्य देश को एकता के सूत्र मे बांधे रखते हैं। उनसे पूछा गया था कि क्या वह उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के पक्ष में हैं। दरअसल इससे पूर्व छोटे राज्यों के सत्र में उत्तर प्रदेश के आकार को लेकर कई सवाल उठे। छोटे राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विकास के लिए उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य को छोटे राज्यों में बांटने की वकालत की थी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने अनुभव के आधार पर राज्यों के छोटे आकार को सही ठहराया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी लगभग इसी मत के थे। हरीश रावत का कहना था कि छोटे राज्य बेहतर विकास कर सकते हैं जबकि बड़े राज्य अपने आकार के कारण पिछड़ जाते हैं। लेकिन, अगले सत्र में अखिलेश यादव की यह राय नहीं थी।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सभी छोटे राज्य अपनी अपेक्षा के मुताबिक विकास कर सके हैं? चार विधायक इधर गये तो सरकार गई और पांच विधायक उधर गए तो सरकार बन गई। उन्होंने यह प्रश्न भी किया कि क्या छोटे राज्यों की सारी समस्याएं दूर हो गई हैं। अखिलेश यादव का मत था कि राज्यों का विकास नेतृत्व की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश भले आकार में बड़ा होगा लेकिन पिछले तीन वर्षों में विकास के राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरा है। यहां तक कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए केंद्र सरकार ने भी उसे सराहा है।