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उत्तर प्रदेश में अम्बेडकर के नाम में जुड़ेगा ‘रामजी’, भाजपा सांसद उदितराज खफा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के नाम के साथ अब उनके पिता ‘रामजी मालोजी सकपाल’ का नाम भी जोड़ा जाएगा।
प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद भाजपा सांसद उदित राज ने आपत्ति दर्ज की, उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम के मध्य में रामजी लिखे जाने से अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया है, इससे दलित भी नाराज हैं। उदित राज का कहना है कि इसका प्रतिकूल असर पड़ता दिख रहा है और सुबह से ही कई जगहों से खबर आई हैं, सोशल मीडिया पर भी भीमराव अम्बेडकर के नाम परिवर्तन की चर्चा हो रही है। ज्ञात है कि देश के संविधान को आकार देने वाले डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का जन्म साल 14 अप्रैल 1891 को हुआ था, डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था, भीमराव अम्बेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का भीमाबाई था। डॉ. भीमराव अम्बेडकर अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे, उन्होंने विदेश जाकर अर्थशास्त्र डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की थी, ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय थे, जब वह 1926 में भारत आए तब उन्हें मुंबई की विधानसभा का सदस्य चुना गया। भारत के संविधान का मुख्य निर्माता उन्हें ही माना जाता है, वह आजाद देश के पहले कानून मंत्री बने, साल 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने ही सबसे पहले छुआछूत, दलितों, महिलाओं और मजदूरों से भेदभाव जैसी कुरीति के खिलाफ आवाज उठाई। साल 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया, जिसके कारण लाखों दलितों ने ऐसा किया, 6 दिसंबर 1956 को डाॅयबिटिज से पीड़ित होने से उनकी मौत हो गई थी।
वहीँ राज्यपाल रामनाईक की सलाह के बाद भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार ने यह फैसला लिया है, अब उनका नाम ‘डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर’ होगा। मिली जानकारी के अनुसार राज्यपाल रामनाइक ने इसको लेकर 2017 में एक कैंपेन चलाया था, इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र भेजा था। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में भी उनके नाम के साथ पिता का नाम जोड़ा जाता है, इस मामले में अब उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश दे दिए हैं, जिसके बाद आधिकारिक रूप से नाम बदलकर डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर हो जाएगा। योगी सरकार ने रिकॉर्ड्स में सभी जरूरी बदलावों के निर्दश भी दे दिए हैं। राज्यपाल रामनाईक ने नाम में बदलाव के लिए उस दस्तावेज का भी हवाला दिया था, जिसमें भीमराव अम्बेडकर के हस्ताक्षरों में ‘रामजी’ नाम शामिल था।

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