लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती 2015 के 35 हजार अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है, न्यायालय ने लिखित परीक्षा बगैर मेरिट के आधार पर हुई भर्ती को वैध करार दिया है। ये आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस और पीएसी सिपाहियों की भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं एक साथ सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद करीब 35 हजार सिपाहियों की भर्ती जल्द कराई जाएगी। ये आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने रणविजय सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। राज्य में पुलिस भर्ती सपा शासन से पहले लिखित परीक्षा के आधार पर ही कराने का नियम था, साल 2015 में अखिलेश सरकार ने परीक्षा के आधार को पलटते हुए मेरिट के आधार पर चयन का फैसला किया था।
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि 2015 में प्रदेश सरकार ने प्रारंभिक लिखित और मुख्य लिखित परीक्षा के अलावा शारीरिक दक्षता व मेडिकल परिक्षण का नियम बदलते हुए हाईस्कूल और इंटर के नंबर के आधार पर भर्ती करने का फैसला लिया था, सरकार के इस फैसले के बाद योग्य सिपाहियों का चयन नहीं हो पाएगा, इसके बाद हाईकोर्ट ने चयन परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी थी। सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने दलील दी कि नियमों में थोड़ा बदलाव करते हुए सिर्फ लिखित परीक्षा का प्रावधान खत्म किया गया है। शारीरिक दक्षता के मानकों में कोई कटौती नहीं की गई है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार ने बताया कि सरकार इस मामले में कोर्ट के निर्णय के खिलाफ अपील नहीं करेगी। भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। फैसले के बाद पुलिस भर्ती बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि परिणाम जारी करने की प्रक्रिया में कम से कम एक महीने का समय लग सकता है ।