उत्तर प्रदेश में मची है ‘लाल सोने’ की लूट
बुंदेलखंड़ : बालू माफिया, जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की ‘तिकड़ी’ अवैध खनन में हावी है। केन नदी हो, बागै नदी या फिर यमुना नदी की तलहटी में बसे गांवों के मजदूर अब तो इसी तर्ज पर ‘लाल सोना की लूट है, लूट सको तो लूट’ जैसा गीत दिन-रात गुनगुना रहे हैं। यहां के लोग ‘बालू’ को ‘लाल सोना’ और पहाड़ों के ग्रेनाइट पत्थर को ‘काला सोना’ कहते हैं। भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का वादा करने वाली सूबे की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पूर्ववर्ती सरकारों से ज्यादा अवैध बालू खनन देखने को मिल रहा है। अवैध खनन का आलम यह है कि प्रतिबंध के बावजूद पोकलैंड, जेसीबी और एलएनटी जैसी मशीनें बेधड़क नदियों का सीना चीर कर उनकी जलधारा ही बदल रहे हैं। जिससे बाढ़ और सूखे जैसा दंश हर साल किसानों को भुगतना पड़ रहा है। बुंदेलखंड़ में चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर को छोड़ दें तो अकेले बांदा जिले में वैध रूप से बालू की छोटी-बड़ी 39 खदानें संचालित हैं। इन वैध खदानों की आड़ में अवैध खदानों की भरमार ज्यादा है और अवैध खनन का खेल बदस्तूर जारी है। वैसे तो हर सरकार में विधायक और सांसदों के ऊपर बालू के इस गोरखधंधे में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अब तो सत्ता पक्ष के एक विधायक पर बालू खदानों से रंगदारी न दिलाने पर खनिज अधिकारी से मारपीट करने की भी प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। फिर भी अवैध खनन पर पाबंदी नहीं लग पायी। हद तो तब हो गई, जब सूबे के सिंचाई मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री ने शुक्रवार को समीक्षा बैठक के दौरान जिले में तैनात खनिज अधिकारी को दो बार तलब किया, लेकिन अधिकारी ने वहां जाने से ही मना कर दिया। अब मंत्री जी ने अपनी लाज बचाने के लिए इस अधिकारी से बैठक पर न आने का स्पष्टीकरण मांगा है। वामपंथी विचारधारा के बुजुर्ग राजनीतिक विश्लेषक और अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान कहते हैं कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे बसपा के गयाचरन दिनकर को भारी मतों से हरा कर पहली बार नरैनी सीट से विधायक चुने गए भाजपा के राजकरन कबीर ने एक टीवी चैनल को दिए अपने पहले इंटरव्यू में कहा था कि अपने क्षेत्र में बालू के अवैध खनन पर रोंक लगाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। विधायक ने अवैध खनन और ओवरलोडिंग वाहनों के खिलाफ 14 जून 2017 की रात नरैनी चैराहे में अपनी ही सरकार के खिलाफ करीब तीन घंटे तक का धरना भी दिया था। लेकिन कुछ दिन बीते थे कि पूर्व पुलिस अधीक्षक शालिनी ने रात में छापा मार कर अवैध बालू लदे ट्रकों की निकासी और उनसे वसूली करते रंगेहाथ गिरफ्तार कर उनके चचेरे भाई ( विशाल, निवासी मुरवां) को जेल भेज दिया था।’ सामाजिक कार्यकर्ता ऊषा निषाद बताती हैं कि उन्होंने अवैध खनन में संलिप्तता के चलते इसी विधायक के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन किया और कई दिनों तक अनशन भी किया था, लेकिन बाद में प्रशासन ने अनशनकारियों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर आवाज को दफन कर दिया है। वह आरोप लगाती हैं कि विधायक जी का एक भाई विधानसभा चुनाव बाद से ही पांड़ादेव, रिसौरा और मऊ गांवों में बालू का अवैध खनन करा रहा है। इस समय अवैध खनन के मामले में खनिज अधिकारी शैलेन्द्र सिंह और भाजपा के तिंदवारी विधायक बृजेश प्रजापति के बीच चल रही जंग सोशल मीडिया से लेकर अधिकारियों के चौखट तक चर्चा का विषय बनी हुई है। खनिज अधिकारी ने 9 अक्टूबर को भाजपा विधायक प्रजापति के खिलाफ खदानों से रंगदारी न दिलाने पर सर्किट हाउस में बंधक बनाकर मारपीट करने की पा्रथमिकी दर्ज कराई तो विधायक ने उन पर बालू माफियाओं से मिलकर अवैध सिंडीकेट चलाने का आरोप लगाया। अब तो दोनों पक्ष के समर्थक सड़क पर ‘झंड़ा ऊंचा’ कर रहे हैं। बुंदेलखंड़ किसान यूनियन के केन्द्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा दो दिन पूर्व ही सैकड़ों किसानों के साथ प्रदर्शन कर भाजपा विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई। भाजपा विधायक किसानों की समस्याओं की अनदेखी कर बालू के अवैध कारोबार में संलिप्त हैं, मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही है। हालांकि पुलिस विधायक और खनिज अधिकारी के विवाद में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। शहर कोतवाल अनिल कुमार सिंह ने बताया कि मामले की विवेचना चल रही है, अदालत में खनिज अधिकारी शैलेन्द्र सिंह का कलम बंद बयान भी दर्ज कराया चुका है।