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उत्तर प्रदेश में मायावती से नहीं अखिलेश से होगा प्रियंका गांधी का मुकाबला

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन ने सीटों का ऐलान कर दिया है। सपा के खाते में 37 और बसपा के खाते में 38 सीटें आई हैं। दिलचस्प बात ये है कि सपा को ज्यादातर सीटें ऐसी मिली हैं, जहां पिछले चुनाव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। इसका मतलब साफ है कि प्रियंका का मुकाबला मायावती से नहीं बल्कि अखिलेश यादव से होगा।

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन ने सीटों का ऐलान कर दिया है। सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 38 पर बसपा और 37 पर सपा चुनाव मैदान में उतरेंगी। अखिलेश यादव के खाते में ऐसी संसदीय सीटें आई हैं, जहां उनका मुकाबला बीजेपी की बजाय कांग्रेस से होगा। सूबे की ऐसी करीब एक दर्जन लोकसभा सीटें हैं, जहां प्रियंका गांधी के आने के बाद कांग्रेस मजबूत मानी जा रही है। ऐसे में इन सीटों पर प्रियंका का मुकाबला मायावती से नहीं बल्कि अखिलेश से होता नजर आ रहा है। बता दें कि 2014 के चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस महज दो सीटें अमेठी और रायबरेली ही जीत सकी थी। इसके अलावा करीब छह ऐसी सीटें थीं, जहां पर वो दूसरे नंबर पर रही थी। इनमें लखनऊ, कानपुर, कुशीनगर, गाजियाबाद, सहारनपुर और बाराबंकी संसदीय सीटें शामिल थीं। इसके अलावा वाराणसी और मिर्जापुर लोकसभा सीट पर सपा से ज्यादा वोट कांग्रेस को मिला था।

सूबे में सपा-बसपा के बीच सीट शेयरिंग में अखिलेश के खाते में लखनऊ, कानपुर, कुशीनगर, गाजियाबाद, वाराणसी और बाराबंकी संसदीय सीटें आई हैं। दिलचस्प बात ये है कि इनमें से कई सीटें ऐसी हैं, जहां पर सपा ने कभी जीत का स्वाद नहीं चखा है। जबकि इन सीटों पर ज्यादातर मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता रहा है। यही नहीं कानपुर में सपा चौथे और वाराणसी में पांचवें नंबर पर रही थी। जबकि लखनऊ, गाजियाबाद, और कुशीनगर में काफी पीछे रही थी। प्रियंका गांधी के राजनीतिक दस्तक देने के बाद सूबे के सियासी समीकरण बदले हैं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में नया जोश दिख रहा है। प्रियंका को यूपी के पूर्वांचल की 41 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने इन लोकसभा सीटों के कार्यकर्ताओं से सीधे मुलाकात करके सियासी मिजाज को समझने की कोशिश की है।

कांग्रेस ने सूबे में करीब दो दर्जन लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इनमें ज्यादातर सीटें वही हैं, जो सपा के खाते में गई हैं। सहारनपुर सीट है जहां कांग्रेस का मुकाबला बसपा से है। इसके अलावा दोआब इलाके की कुछ सीटें जहां बसपा और कांग्रेस के बीच लड़ाई है. जबकि पश्चिम यूपी से लेकर पूर्वांचल और अवध क्षेत्र की सीटें कांग्रेस ने जीतने के लिए चिन्हित की है, जहां सपा और कांग्रेस के बीच सियासी मुकाबला होने की उम्मीद है। इतना ही नहीं सूबे के मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों को सपा-बसपा ने बराबर-बराबर बांटा है। पश्चिम और दोआब की सीटें जहां बसपा के खाते में गई हैं। वहीं, रुहेलखंड, अवध और पूर्वांचल की मुस्लिम बहुल सीटें सपा के खाते में, यही नहीं बिजनौर और नगीना जैसी कई मुस्लिम बहुल सीटें सपा ने बसपा के लिए छोड़ दी है जबकि यहां पिछले चुनाव में वह दूसरे नंबर पर रही थी। कांग्रेस भी अगर इन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती है तो फिर सपा-बसपा गठबंधन के जीत के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।

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