उत्पीड़न तथा बाल अपराध के खिलाफ राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल की स्थापना करे सरकार : सत्यार्थी
रोहतक : नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बाल उत्पीडऩ, बाल यौन शोषण तथा बाल ट्रैफिकिंग के खिलाफ चुप्पी तोड़ने तथा इन कुप्रथाओं के खिलाफ युद्ध छेडऩे का आह्वान किया। वे शनिवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के टैगोर सभागार में सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत थीम पर हरियाणा स्वर्ण जयंती वर्ष विशेष व्याख्यान कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम उनके राष्ट्रव्यापी भारत यात्रा की कड़ी में एमडीयू में आयोजित किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यअतिथि हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी थे। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने द्वीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि पूरे समाज को बाल शोषण संबंधित उदासीनता को त्यागना होगा। सामाजिक मानसिकता में बदलाव की पुरजोर वकालत करते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि ये किस तरह का समाज है, किस तरह की तरक्की है, जहां बच्चों-बच्चियों के खिलाफ यौन अपराध बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि बाल उत्पीडऩ तथा बाल अपराध के खिलाफ राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल की स्थापना की जाए। कैलाश सत्यार्थी ने बताया कि भारत यात्रा का आयोजन पूरे राष्ट्र में बाल उत्पीडऩ के खिलाफ जागरूकता फैलाने तथा इस मामले जनमत तैयार करने के लिए किया गया है।
उन्होंने उपस्थित जन से सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत संबंधित शपथ भी दिलवाई। हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि कैलाश सत्यार्थी का पूरा जीवन बच्चों की खुशहाली के लिए समर्पित रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरूकता के लिए जन जागरण बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बच्चे किसी भी समाज एवं राष्ट्र की अमूल्य संपत्ति होते हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा, अच्छी परवरिश समाज व राष्ट्र का दायित्त्व है। प्रो. सोलंकी ने कहा कि यदि बच्चे सुरक्षित होंगे, तो समाज-राष्ट्र सुरक्षित रह पाएगा। उन्होंने कैलाश सत्यार्थी तथा उनकी जीवन संगिनी सुमेधा कैलाश के बाल अधिकारों के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। महिला एवं बाल कलयाण मंत्री कविता जैन ने कहा कि बच्चों के खिलाफ अपराध गंभीर वैश्विक समस्या है। उन्होंने कहा कि बाल शोषण एवं उत्पीडऩ जैसे संवेदनशील मुद्दे पर पूरे समाज देश को जागृत होना होगा।