उपभोक्ता कानून से मिलावटखोरों पर कसेगी नकेल
नई दिल्ली। नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने का कड़ा प्रावधान किया गया है। नकली उत्पादन बनाने, बेचने और मिलावट करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। उपयुक्त कानून के अभाव में अभी तक ऐसे अपराधी आसानी से छूट जाते हैं। नए उपभोक्ता कानून के मसौदे में आपराधिक अदालतों में मुकदमा चलाने का प्रावधान किया गया है। ऐसे अपराधियों पर उपभोक्ताओं के नुकसान के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी। इसमें उनके ऊपर भारी जुर्माना और जेल की सजा का भी प्रावधान किया गया है।
लोकसभा में शुक्रवार को पेश किये गये नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2018 में उपभोक्ताओं के अधिकारों से जुड़े कई नए विषय भी जोड़ दिये गये हैं जो अब तक इसमें शामिल नहीं थे। मिलावटी व नकली वस्तुओं का उत्पादन व बिक्री करने वालों पर कार्रवाई करने का अधिकार ही नहीं था। वर्ष 1986 के उपभोक्ता संरक्षण कानून के दायरे से यह विषय बाहर था, जिसे अब शामिल कर लिया गया है।
केवल खाद्य वस्तुओं में मिलावट का मसला फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट-2006 के दायरे में था, बाकी वस्तुओं पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान नहीं के बराबर था। शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन पेश इस विधेयक के अगले बजट सत्र में पारित होने की संभावना है। यह पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 का स्थान लेगा।
पुराने कानून को संशोधित करने के बारे में संसद की स्थायी समिति ने अपनी सिफारिश में इस विषय पर गंभीर चिंता जताई थी। समिति ने अपनी सिफारिश में इसे शामिल करने के साथ सख्त कानूनी प्रावधान के लिए कहा था। उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए नये विधेयक में शामिल करने की बात कही है। इसके पकड़े जाने पर मामले आपराधिक अदालत में चलाए जाएंगे।
उपभोक्ताओं को अगर उस उत्पाद से कोई शारीरिक या मानसिक नुकसान हुआ है तो उसको भी आधार बनाया जाएगा। ऐसे अपराधियों पर लगाम कसने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता प्राधिकरण का भी गठन किया जाएगा। प्राधिकरण उन मामलों को देखेगा जो नकली सामान बनाने, भंडारण करने, बेचने और वितरण करने से जुड़े होंगे और जिनका कुप्रभाव जाने अनजाने उपभोक्ताओं पर पड़ता है। इसके लिए उपभोक्ता अदालतों का पूरा ढांचा मजबूत बनाया जाएगा, जिसमें आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतें भी शामिल होंगी।