उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने राष्ट्रीय मंत्री से मुलाकात के बाद 300 सीट जीतने का किया दावा
राष्ट्रीय महामंत्री संगठन ने विधानसभा चुनाव-2022 के लिए गंभीरता से जुटने का आह्वान किया। वहीं जिलों खासतौर पर गांवों व कस्बों में पार्टी के कामकाज और विधायकों व सांसदों की छवि में सुधार के लिए ज्यादा से ज्यादा सेवा कार्य करने की भी रणनीति बनाई गई। सूत्रों ने बताया मंत्रिमंडल विस्तार के मद्देनज़र हटाए जाने वाले मंत्रियों के नाम के एवज में कुछ जिला अध्यक्षों से तीन नाम मांगे गए हैं। माना जा रहा है कि कुछ मंत्रियों को संगठन में जिम्मेदारी देने और कुछ संगठन पदाधिकारियों को मंत्रिमंडल में लेने पर भी विचार हुआ।
लखनऊ : उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने राष्ट्रीय महामंत्री संगठन के साथ मुलाकात की। बैठक के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने आज फिर वही नारा दोहराया, जो उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों में तत्कालीन उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहते हुए दिया था। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हम साल 2022 में 300 से अधिक सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत प्राप्त करेंगे। उनके इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश में संगठन और सरकार में बड़े बदलाव के संकेत के कयास लगाये जा रहे हैं। इस समय उत्तर प्रदेश की सियासत में चर्चा है कि केशव प्रसाद मौर्या को एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है, जबकि स्वतंत्र देव सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
वहीं आईएएस एके शर्मा को उपमुख्यमंत्री का पद मिलेगा। इसके अलावा कई मंत्रियों को भी इस बार हटाने की चर्चा जोरों पर है। इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने लखनऊ में मिशन-2022 के लिए पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ मंथन शुरू कर दिया। उन्होंने राज्य सरकार के मंत्रियों से एक-एक कर भेंट की और उनसे सरकार के कामकाज के साथ ही आम लोगों की पार्टी के प्रति राय जानी। संतोष मुख्यमंत्री आवास पहुंचे और वहां कोर कमेटी के साथ बैठक की। माना जा रहा है कि इससे पहले मुख्यमंत्री के साथ बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन में बदलाव पर चर्चा हुई। भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर सुबह से ही संगठन के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों के बीएल संतोष के मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। मुख्य रूप से सुरेश खन्ना, जय प्रताप सिंह, महेंद्र सिंह, दारा सिंह चौहान के अलावा कानून मंत्री बृजेश पाठक मिलने पहुंचे। मंत्रियों से विधानसभा चुनाव 2022 में कैसे और किन नीतियों के साथ लड़ा जाए, इस मुद्दे पर मत जाना गया। कुछ मंत्रियों ने जिलों में आ रही दिक्कतों का भी जिक्र किया।
सूत्रों का कहना है कि पंचायत चुनाव में पार्टी की रणनीति से कुछ पदाधिकारी व मंत्री असहमत दिखे। उन्होंने पंचायत चुनाव में पार्टी द्वारा प्रत्याशी घोषित करने और फिर उन्हें पार्टी सम्बल न देने के मुद्दे पर बात रखी। कुछ ने पंचायत चुनाव की रणनीति में हुई गलतियों पर भी मुखर होकर राय दी। साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख चुनाव की भी चर्चा हुई। कैसे पार्टी ज्यादा से ज्यादा जिला पंचायत अध्यक्ष के पद हासिल करे इस पर रणनीति बनी। कुछ विधायकों की नाराज़गी का मुद्दा भी उठा। मंत्रियों से जानने की कोशिश हुई कि क्या कुछ नाराज़ विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं?