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नई दिल्ली : संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण को विपक्ष की ओर से पूरी तरह बाधित कर दिये जाने के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह तथा पार्टी के सभी सांसदों और नेताओं सहित 12 अप्रैल को एक दिन के उपवास पर रहेंगे। यह उपवास संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण को विपक्ष की ओर से पूरी तरह बाधित कर दिये जाने के विरोध में किया जा रहा है। देखा जाये तो देश में पहली बार ऐसा होगा कि कोई प्रधानमंत्री विरोध स्वरूप उपवास पर रहेगा। इसे कांग्रेस के दो दिन पहले किये गये उपवास का जवाब बताया जा रहा है, लेकिन भाजपा का यह कार्यक्रम कांग्रेस के उपवास कार्यक्रम से पहले ही घोषित हो चुका था।
गौरतलब है की नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब 2012 के विधानसभा चुनावों से ठीक एक साल पहले उन्होंने अक्तबूर 2011 में द्वारका से उपवासों की श्रृंखला की शुरूआत की थी। इसके तहत उन्होंने राज्य के हर जिले में एक दिन का उपवास करके सहिष्णुता का संदेश फैलाने का दावा किया था। खास बात यह थी कि उपवासों की यह श्रृंखला मोदी ने तब गोधरा कांड की 10वीं बरसी से एक महीने पहले तीन दिवसीय सद्भावना मिशन के दौरान की थी। तब कांग्रेस ने इसे मोदी का 60 करोड़ रुपए का तमाशा बताया था लेकिन अगले ही वर्ष हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मुँह की खानी पड़ी थी। इसके अलावा मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान नर्मदा बांध के लिए भी अनशन किया था और जब प्रधानमंत्री बने तो पिछले वर्ष सितंबर माह में मोदी ने सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना का लोकार्पण किया। अब लोकसभा चुनावों से एक साल पहले भी मोदी ने उपवास पर बैठने का फैसला कर कांग्रेस को घेरने की शुरुआत कर दी है।
कांग्रेस नेताओं की उपवास से पहले छोले, भठूरे खाने की तस्वीरें जिस तरह वायरल हुई थीं उसे देखते हुए भाजपा पूरी तरह से सतर्क है और सभी नेताओं को निर्देश दिये हैं कि जिस सांसद की तबियत साथ न दे वह सांकेतिक उपवास रखेंगे और खाने-पीने की वस्तुएं उपवास स्थल के आसपास नहीं दिखनी चाहिए साथ ही उपवास के दौरान चिंतन होना चाहिए न कि हँसी, ठहाके।