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ये वो दस्तावेज थे, जिनसे यह साबित हो रहा था कि बिना अंसल ब्रदर्स की मर्जी के उपहार सिनेमा हॉल में एक पत्ता भी नही हिल सकता था. सभी आर्थिक मामलों में उन्हीं की हिस्सेदारी और स्वामित्व था. लेकिन कोर्ट मे जिरह के दौरान अंसल ब्रदर्स के वकीलों ने ये साबित करने की कोशिश की कि 1988 के बाद उनका उपहार सिनेमा हॉल मे कोई दखल नही था, जबकि उपहार कांड 1997 में हुआ था. गौरतलब है कि उपहार सिनेमा हॉल के अग्निकांड में सैकड़ों लोग बॉर्डर मूवी देखते वक़्त मारे गए थे.
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उपहार कांड में दोनों बच्चे गवां चुकीं नीलम कृष्णमूर्ति कहती है कि हाइकोर्ट के आज के आदेश के वो संतुष्ट हैं, लेकिन ट्रायल कोर्ट में भी मामला एक डेढ़ साल में पूरा होना चाहिए, जिससे न्याय समय पर मिल सके. इस मामले में चार्जशीट 10 साल पहले ही लगा दी गई है, लेकिन हमें उम्मीद है कि अब इस पर ट्रायल कोर्ट जल्द फ़ैसला देगी.