लखनऊ ( दस्तक ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल लगातार सातवें दिन सोमवार को भी जारी है। हड़ताल के कारण अधिकांश सरकारी दफ्तरों में कामकाज ठप है जिससे आम जनता को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार हड़ताली कर्मचारियों से संपर्क कर बातचीत करने और समझौता करने को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है। इस हड़ताल में लगभग 18 लाख कर्मचारी शामिल हैं। हड़ताली कर्मचारियों के संगठन ने कहा था कि यदि सरकार उनकी मांगे नहीं मानती है तो वे एक-एक करके स्वास्थ्य सेवाओं को भी बंद करना शुरू कर देंगे। अपनी पूर्व घोषणा के तहत आज से सारे सरकारी अस्पतालों में आंख की जांच बंद कर दी गई है। 19 नवंबर से ओपीडी के सारे स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल में शामिल हो जाएंगे। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि पैथॉलजी विभाग के स्वास्थ्य कर्मियों और नर्सों ने 2० और 21 नवंबर से क्रमश हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की है। उधर राज्य सरकार अपने रुख पर कायम है। सरकार का कहना है कि वह हड़तालियों की अनुचित मांगों के सामने नहीं झुकेगी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार किसी भी हाल में हड़ताली कर्मचारियों की अनुचित मांगों के सामने नहीं झुकेगी जो भी जायज मांगे होंगी सरकार उन्हें पूरा करेगी। इस बीच राज्य कर्मचारी अधिकार मंच के अध्यक्ष अजय सिंह ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार कह रही है कि हड़ताली कर्मचारियों की कई मांगे अनुचित हैं। हमारा कहना है कि सरकार बताए कि हमारी कौन-सी मांग अनुचित है। हम उन्हें वापस ले लेंगे। सिंह ने कहा कि सरकार कह रही है कि वह हमारी जायज मांगों को पूरा करेगी। अगर ऐसा है तो सरकार शासनदेश जारी करे। सिंह ने कहा कि सरकार हमारे साथ बातचीत करने के बजाय केवल बयानबाजी कर रही है। मांगे पूरी न होने तक हम हड़ताल वापस नहीं लेंगे। सरकारी अस्पतालों में हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हो इसके लिए सरकार ने वैकल्पिक इंतजाम किए हैं। महानिदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) अमर सिंह राठौर ने बताया कि मरीजों को किसी प्रकार की असुविधा से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग फील्ड वर्कर्स का भी इस्तेमाल करेगा। आवश्यक चिकित्सा सेवाएं किसी भी हाल में बाधित नहीं होने दी जाएंगी। उधर राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि राज्य कर्मचारियों के एक गुट द्वारा प्रचारित हड़ताल से हुए नुकसान के आंकड़ों का वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक राज्य सरकार ने 26 आवश्यक सेवाएं पहले से ही ऑनलाइन उपलब्ध करा रखी हैं उन पर भी कथित हड़ताल का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। प्रमुख सचिव कर एवं निबंधन वीरेश कुमार ने बताया कि प्रदेश को वर्तमान हड़ताल से राजस्व संग्रह के क्षेत्र में कोई भी हानि नहीं उठानी पड़ रही है। वर्तमान में चूंकि कर संग्रह की ऑनलाइन तथा ई-पेमेंट की सुविधा मौजूद है इसलिए कर संग्रह तथा राजस्व प्राप्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत व्यापारी स्वयं अपना कर जमा करते हैं। उन्होंने हड़ताली कर्मचारियों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों को निराधार और भ्रामक बताया। प्रदेश के आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव जे. पी. शर्मा और परिवहन आयुक्त ने भी हड़ताल से सेवाएं प्रभावित होने को निराधार बताया है।