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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वैसे तो गर्मी बढ़ने के साथ हमेशा की तरह बिजली गायब रहने की समस्या बरकार है। शुक्रवार का दिन तब चर्चा का विषय बन गया जब राजधानी लखनऊ के तमाम क्षेत्रों के साथ-साथ विधान भवन भी करीब 15 से 2० मिनट तक विद्युत आपूर्ति से वंचित रहा। भरी दोपहर में शुक्रवार को कार्य के दिन सभी कर्मचारी-अधिकारी अपने-अपने कार्य में मशगूल थे तभी अचानक अंधेरा छा गया। सभी काम ठप्प पड़ गए। विधान भवन के प्रेस रूम में कार्य कर रहे पत्रकारों का कार्य भी कुछ समय के लिए बाधित हुआ। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि विद्युत समस्या का कारण केंद्रीय कोटे से कम बिजली मिलना और राज्य में कम विद्युत उत्पादन होना है। गौरतलब है कि बिजली की कटौती से राज्य में लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं। लोकसभा चुनाव से पहले बिजली आपूर्ति के लिए गावों में 16 घंटे और शहरों में 2० घंटे तय किए गए थे लेकिन चुनाव बाद अब गांवों के लिए 11 घंटे और शहरों के लिए 15 घंटे कर दिए गए हैं। बिजली आपूर्ति के तय घंटों के अनुसार भी बिजली आपूर्ति नहीं की जा रही है जबकि बिजली में छह घंटे की अतिरिक्त कटौती की जा रही है। उधर विद्युत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मांग और उपलब्धता के अंतर के कारण कटौती करनी पड़ रही है। अधिकारियों के मुताबिक इस समय प्रतिदिन बिजली की मांग करीब 27.1 करोड़ यूनिट की है वहीं उपलब्तधता करीब 25.5 करोड़ यूनिट ही है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के प्रंबध निदेशक ए.पी. मिश्रा के मुताबिक केंद्रीय कोटे से करीब 1.5 करोड़ यूनिट कम बिजली मिल रही है। साथ ही राज्य के अपने बिजली घरों में उत्पादन करीब एक करोड़ यूनिट कम हो रहा है फिर भी तय घंटों के मुताबिक बिजली आपूर्ति करने की कोशिश की जा रही है।