लखनऊ । प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री इकबाल महमूद ने कहा है कि प्रदेश सरकार माध्यमिक शिक्षा पर प्रति वर्ष 7००० करोड़ रुपये व्यय कर रही है लेकिन उसका सदुपयोग नहीं हो रहा है। यह शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कमी है। वे बच्चों के भविष्य को देखे। बच्चों के भविष्य पर उनकी कमी के कारण आंच नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यापक राजकीय कालेजों के शिक्षकों को प्राइवेट कालेजों के शिक्षकों से अधिक वेतन मिल रहा है लेकिन प्राइवेट कालेजों के बच्चे आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2०13-14 की हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की परीक्षाओं में अच्छे अंक पाने वाले 5०० बच्चों को सम्मानित किया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने बुधवार को बैठक में कहा कि चालू वर्ष में माध्यमिक शिक्षा विभाग के उच्च स्तर के 8 हजार पदों वित्त पोषित कालेजों के शिक्षकों के 2० हजार पदों तथा राजकीय कालेजों में प्रवक्ताओं के तीन हजार पदों पर शीघ्र नियुक्तियां होंगी। उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा में एनसीईआरटी पाठ्यक्रमों को सम्मिलित करने पर सरकार विचार करेगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी विकास होना चाहिये तथा खेल अध्यापकों के रिक्त पद शीघ्र भरे जाएं। उन्होंने कहा कि उ.प्र. बोर्ड की परीक्षाओं में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की शिकायत पाये जाने पर कठोर दण्डात्मक कार्यवाई की जाएगी। शिक्षा मंत्री ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे अपने कार्यालय में प्रतिदिन पूर्वा? 1० से 12 बजे तक जनता एवं अभिभावकों की शिकायतों का निस्तारण करें। उन्होंने कहा कि मण्डलों में कार्यरत उपनिदेशकों के पास कोई कार्य नहीं है। इसलिये उन्हें भी कार्य आवंटित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि कन्या विद्या धन वितरण में मानक की अवहेलना नहीं होनी चाहिये। वर्ष 2०14-15 में उन्होंने 5०० करोड़ रुपये कन्या विद्याधन वितरण करने हेतु आज ही निर्गत करने के निर्देश दिये। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि स्कूलों को मान्यता देने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाये तथा जिन विद्यालयों का मानक पूरा हो उन्हें तत्काल मान्यता देने में देरी न की जाये। उन्होंने बताया कि जिला विद्यालय निरीक्षक उन्नाव को गलत बयानी के कारण उन्हें निलम्बित किया गया है। इस अवसर पर राज्य मंत्री (माध्यमिक शिक्षा) विनोद कुमार उर्फ पण्डित सिंह ने कहा कि जनपदों में शिक्षा विभाग के कार्यालय बाबू चला रहे हैं तथा वे भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि नये स्कूलों के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता बहुत खराब है।