लखनऊ। प्रदेश में लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर सिमटी कांग्रेस उपचुनाव में भी उभर नहीं पायी। उपचुनाव को लेकर पार्टी में कोई उत्साह नहीं था। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने खुद को चुनाव प्रचार से दूर ही रखा। बुंदेलखण्ड की चरखारी और हमीरपुर सीट पर ही कांग्रेस प्रत्याशी सम्मानजनक वोट हासिल हुये। एक भी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये। इस हार से विधानसभा में पार्टी की सेहत पर कोई कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन राजनीतिक कद सूबे में पहले से और कम जरूर हुआ है। मैनपुरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने प्रत्याशी खड़ा नहीं किया था। विधानसभा जिन 11 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे इनमें से 1 पर दूसरे, 8 पर तीसरे व 2 पर चौथे पायदान पर रहे। बुंदेलखण्ड में पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। शेष सभी सीटों पर पार्टी के वोट प्रतिशत में भारी गिरावट आयी है। रोहनिया में तो निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस उम्मीदवार पर भारी पड़ा। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 28 विधायक विधानसभा की चौखट लांघ पाये थे। पिछले चुनाव में उपचुनाव वाली 11 सीटों में से एक पर भी पार्टी उम्मीदवार विजय हासिल नहीं कर पाया था, पर वो सम्मानजनक वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रालोद के साथ मिलकर लड़ा था। इसलिये बिजनौर से कांग्रेस प्रत्याशी मैदान में नहीं था। कांग्रेस प्रत्याशी 1 सीट पर दूसरे, 2 सीटों पर तीसरे, 6 सीटों पर चौथे व 1 सीट पर पांचवें पायदान पर रहे थे। कांग्रेस प्रत्याशियों ने 3 लाख 9 हजार 309 वोट हासिल किये थे। इस वर्ष मई में हुये लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मैनपुरी सीट से उम्मीदवार नहीं उतारा था।