उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे बैंक और कर्मचारी : वित्त मंत्री
नई दिल्ली : वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने स्वीकार किया है कि बैंकिंग प्रणाली लोगों की अपेक्षा के अनुरूप काम करने में नाकाम रही है। बैंक कर्मियों से जिस उच्च नैतिक मानदंडों की उम्मीद की गई, वे उस पर खरे नहीं उतरे। उन्होंने कहा कि सरकार सभी सरकारी बैंकों को पर्याप्त पूंजी की मदद देगी। गोयल ने यह भी स्वीकार किया कि पूर्व में सरकारी बैंकों में राजनीतिक हस्तक्षेप रहा है, लेकिन वर्तमान सरकार में किसी भी मंत्री ने बैंकों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं किया है। बैंकों के फंसे कर्ज के समाधान के लिए सुनील मेहता समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के एक दिन बाद गोयल ने यह बात कही। समिति ने एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी गठित करने का सुझाव दिया है। यह 500 करोड़ रुपये तक के डूबे कर्जों के मामलों का समाधान निकालेगी। गोयल ने कहा कि सरकारी बैंकों के नियमन के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक की शक्तियों पर बातचीत के लिए सरकार तैयार है। हाल ही में केंद्रीय बैंक ने इस बात को उठाया था। गौरतलब है कि पंजाब नैशनल बैंक में करीब 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बाद सरकारी बैंकों पर कड़ी निगरानी रखने में असफल रहने को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल ने हाल ही में कहा था कि सरकारी बैंकों के नियमन के संबंध में रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त अधिकार नहीं हैं। उद्योग जगत के एक कार्यक्रम में यहां गोयल ने कहा, सरकारी बैंकों के नियमन को लेकर सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की सभी 20 सरकारी बैंकों में अपनी 51% हिस्सेदारी को कम करने की कोई योजना नहीं है।