
उरी में सेना के शिविर पर आतंकी हमले में सुरक्षा चूक की सेना आतंरिक जांच करेगी। सेना का मानना है कि इस मामले में भारी सुरक्षा चूक हुई है। आतंकियों के नियंत्रण रेखा से घुसने से लेकर शिविर तक हमले में न सिर्फ सुरक्षा संबंधी खामी रही, बल्कि खुफिया सूचनाओं की भी अनदेखी की गई है। इसलिए इस मामले की सेना जल्द जांच आरंभ करेगी।
सेना से जुड़े सूत्रों के अनुसार शिविर पर हमले से तीन बातें साफ होती हैं। एक शिविर की सुरक्षा में खामी थी। दूसरे, नियंत्रण रेखा से शिविर तक हथियार बंद आतंकियों के पहुंचने में सुरक्षा चूक हुई है। तीसरे, आतंकियों के पास शिविर में सैनिकों की संख्या को लेकर पुख्ता सूचनाएं पहुंच रही थी। इसलिए ऐसे दिन हमला किया गया जब वहां सैनिकों की उपस्थिति अच्छी खासी थी। आमतौर पर इस शिविर में सैनिकों की संख्या सीमित होती है।
आतंकियों की घुसपैठ को लेकर दो तरह की बातें अभी कही जा रही है। नियंत्रण रेखा घटनास्थल से करीब छह किमी दूर है। लेकिन पहाड़ी रास्ते से यह दूरी महज तीन किमी होती है। आतंकी जिस भी रास्ते से आएं हो, उनका हथियार लेकर सेना शिविर तक पहुंचना आश्चर्यजनक है। जिस शिविर पर हमला हुआ वह बटालियन का प्रशासनिक कार्यालय है।
बटालियन मुख्यालय भी इससे कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर ही है। यानी यह क्षेत्र ऐसा है जहां सुरक्षा के इंतजाम होते हैं। साथ ही कश्मीरके इलाके में हमेशा हाई अलर्ट रहता है, क्योंकि सेना के शिविरों पर आतंकी हमले होते रहते हैं। कुछ ही दिन पूर्व पुंछ में ऐसा हमला हुआ था।
सेना के एक अधिकारी ने माना कि इस मामले में कहीं न कहीं सुरक्षा चूक जरूर हुई है। इसलिए आतंकी शिविर तक निर्बाध पहुंचने में कामयाब रहे। दूसरे, सैन्य अधिकारी ने कहा कि आतंकियों को स्थानीय लोगों से शिविर के बारे में पुख्ता सूचनाएं मिल रही थी। आतंकी स्थानीय लोगों के जरिये शिविर के बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं।
उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी कि हमले के वक्त शिविर में बड़ी तादाद में सैन्य कर्मी हैं। क्योंकि कई यूनिटें बदल रही थी और प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी करने के लिए जवान वहां आए हुए थे। रक्षा सूत्रों के अनुसार आतंकी हमले को लेकर अलर्ट पहले से थे। लेकिन इस शिविर पर हमले को लेकर कोई विशिष्ट जानकारी नहीं थी।
उन्होंने कहा, यह एक रुटीन प्रक्रिया है कि जब भी खुफिया एजेंसियां हमले का कोई अलर्ट जारी करती हैं तो हर किस्म की सतर्कता बरती जाती है। लेकिन यहां यह चूक क्यों हुई, क्यों अलर्ट को गंभीरता से नहीं लिया गया ? इसकी जांच सेना करेगी। ऐसे मामलों की रिपोर्ट आमतौरपर सार्वजनिक नहीं होती हैं, लेकिन सेना ऐसे मामलों में अपने अफसरों पर कार्रवाई करती है।