जीवनशैली

उल्टी करने पर शरीर पर क्या-क्या होते हैं बदलाव


जीवनशैली : कभी आपने सड़क किनारे कुछ चटपटा खा लिया. इसके बाद जब आप घर पहुंचे तब तक आपके पेट में कुछ हलचल शुरू हो गई. आपको समझ में आ गया कि वो खाना आपके पेट को परेशान कर रहा है. अगले ही पल अपने बाथरूम में खड़े उल्टियां कर रहे हैं. हम सभी की जिंदगी में एक ना एक ऐसा दिन जरूर आया होगा जब हमने किसी वजह से उल्टियां की होंगी. जब आप उल्टी करते हैं तो आपकी आंतें खिंची हुई मालूम होती हैं और आंखें लाल हो जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब आप उल्टी करने वाले होते हैं तो आपके दिमाग और शरीर में क्या बदलाव होते हैं.
उल्टी आखिर होती क्या है : उल्टी यानी आपके पाचन तंत्र से अधपचे भोजन का एक झटके से बाहर आ जाना. सबसे अजीब बात तो ये है कि अक्सर उल्टी ऐसी वजहों से होती है जो पाचन तंत्र से जुड़े हुए होते भी नहीं हैं. वजह चाहे कोई भी हो, लेकिन उल्टी की वजह से पाचन तंत्र में एसिड-बेस अव्यवस्थित हो जाता है और शरीर से इलेक्ट्रोलाइट भी बाहर चले जाते हैं. लेकिन कई बार उल्टी करने से भी खतरनाक होता है उल्टी ना करना. इससे पेट में हानिकारक तत्व रह जाते हैं जिन्हें पचाना शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह है.


उल्टी करने की प्रक्रिया
जब भी कोई उल्टी करता है तो यह तीन चरणों में होती है.
– जी मिचलाना: यह एक बहुत असुविधाजनक भावना होती है. जी मिचलाता है तो लगता है कि पेट में खिंचाव होता है. छोटी आंत में हलचल होती है और पेट में मौजूद भोजन गले में आने लगता है.
– उल्टी की फीलिंग: उल्टी से ठीक पहले जब हम उल्टी की कोशिश करते हैं तो सिर्फ हवा बाहर आती है. इस समय आपकी भोजन वाली नाली और गले में लगातार हलचल होती है जो उल्टी में मदद करते हैं.
– उल्टी: जब वो भोजन एक झटके और तेज आवाज के साथ बाहर आ जाता है.
दिमाग से नियंत्रित होती है उल्टी : उल्टी हमारे दिमाग से नियंत्रित होती है. यह एक रिफ्लेक्स एक्शन मानी जाती है जो किसी अन्य वजह से प्रेरित होती है. दिमाग का जो हिस्सा इसे कंट्रोल करता है वो सिर के पिछली तरफ वहां होता है जहां पर लड़कियां चोटी बांधती हैं. इसे कीमोरेसप्टर ट्रिगर जोन कहा जाता है. इस हिस्से को पोस्ट्रेमा भी कहा जाता है.
शरीर के बहुत से अन्य हिस्से हैं जो उल्टी को कंट्रोल कर सकते हैं. हमारे कान के अंदरूनी हिस्से में मौजूद वेस्टिबुलर सिस्टम मोशन सिकनेस की वजह से उल्टी को प्रेरित करता है. पेट की कुछ नसें भी उल्टी की फीलिंग को बढ़ावा दे सकती हैं. टेंशन और स्ट्रेस की वजह से दिमाग के डोपामाइन रिसेप्टर भी उल्टी को बढ़ावा देते हैं.

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