नैनीताल: हाईकोर्ट ने ऊर्जा निगमों में तकनीशियन ग्रेड-2 और आशुलिपिक-कार्यालय सहायक के पदों पर सीधी भर्ती द्वारा की जा रही चयन प्रक्रिया के परिणाम पर रोक लगा दी है। बिना कोर्ट की अनुमति के परिणाम घोषित करने पर यह फैसला लिया गया है। दरअसल, उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष योगेंद्र विश्राल और महासचिव मनोज पंत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि खंडपीठ के समक्ष पूर्व में ऊर्जा के निगमों ने अंडरटेकिंग दी थी। जिसमें था कि वर्तमान में जिन पदों पर उपनल के माध्यम से कर्मी कार्यरत हैं उनको सीधी भर्ती से नहीं भरा जाएगा। शासन की ओर से इस संबंध में 2014 में शासनादेश भी जारी किया गया था।
याचिका में कहा गया कि संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के मामले में औद्योगिक अधिकरण की ओर से दस सितंबर 2017 को निर्णय दिया जा चुका है। जिसके तहत 2011 और 2013 की नियमितीकरण नियमावली के अंतर्गत जो श्रमिक नियमितीकरण के पात्र हैं उन्हें 15 अगस्त 2014 से नियमित किया जाए और बाकी को सीधी भर्ती में आयु सीमा में छूट और अधिमान्य दिया जाए। इसके साथ ही कहा गया था कि समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।
याचिकाकर्ता की शिकायत है कि इसके बावजूद भी निगमों ने बगैर संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के लिए उपलब्ध पदों को घोषित नहीं किया और इसके बिना ही सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गर्इ। याचिकाकर्ता ने कहा कि इसके बाद अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने एक ही दिन में दो घंटे की परीक्षा के बाद एक घंटे के अंदर परिणाम घोषित करने के लिए उत्तर पुस्तिका अपलोड कर दी और 20 नवंबर 2017 तक आपत्तियां मांगी गई। याचिकाकर्ता की ओर से इन सभी को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकलपीठ ने बिना न्यायालय की अनुमति के परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी है।