उत्तराखंडराज्य

ऋषि परम्परा भारत की महान परम्परा है: त्रिवेन्द्र सिंह

हरिद्वार(एजेंसी)। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि ऋषि परम्परा भारत की महान परम्परा है जिसका संत समाज संवर्द्धन कर रहा है जो और संस्कार हमारे पूर्वज हमको देकर गए वहीं हमारी सांस्कृतिक विरासत है जिसे सम्पूर्ण विश्व सम्मान देता है धर्मशास्त्रों के अनुसार आत्मा अजर अमर है और श्रीमहंत संतोष मुनि पुन: हमारे बीच अब भी है हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगें। वे आज दक्षनगरी के राजघाट स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के ब्रह्मलीन संत महंत संतोष मुनि की श्रद्धांजलि सभा को मुख्य अतिथि पद से संबोध्ति कर रहे थे। र्ध्मनगरी से संत महापुरूषों का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए उन्होंने कहा कि देवभूमि की जनता ने भाजपा पार्टी पर विश्वास किया है और हमारी सरकार का कार्यकाल अच्छे कार्यो के लिए जाना जाये यही हमारा प्रमुख उद्देश्य है।

मुख्यमंत्र त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में जो पद रिक्त हैं, उन पदों पर जल्द ही नियुक्तियां की जायेगी और उन्होंने कहा कि आज इस मंच पर भारत के सभी संत महापुरूष हमारी सरकार को आशीर्वाद दें ताकि उत्तराखण्ड सरकार अपने कार्यों को पूरे पांच वर्ष सकुशल कर सके। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने ब्रह्मलीन महंत संतोष मुनि का भावपूर्ण स्मरण करते हुए कहा कि वे महान तपस्वी एवं ज्ञानी संत थे और संतों के ज्ञान का ही प्रभाव है कि भारत की संस्कृति सम्पूर्ण विश्व में उत्तम है। नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने ब्रह्मलीन महंत संतोष मुनि के सानिध्य में बिताए संस्मरणों को ताजा करते हुए कहा कि वे असमय चले गए लेकिन उनका आशीर्वाद सदैव हम सब पर कृपा बनाये रहेगा।

बड़ा अखाड़ा उदासीन की भ्रमणशील जमात के श्रीमहंत महेश्वरदास ने अखाड़े की परम्पराओं को समाजोपयोगी बताते हुए कहा कि हमारे आचार्य स्वनाम धन्य स्वामी श्रीचन्द्र भगवान ने समाज सेवा को सच्चा धर्म बताते हुए जो उपदेश हमें दिए उसी पर हमारा अखाड़ा कर रहा है। श्रीमहंत दुर्गादास एवं श्रीमहंत रघु मुनि ने ब्रह्मलीन महंत संतोष मुनि के संत जीवन की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने हमारी आचार्य परम्परा का अनुशरण करते हुए कम समय में ही अच्छे-अच्छे काम किए। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत मोहनदास ने ब्रह्मलीन महंत संतोषमुनि को सनातन धर्म की ऋषि एवं गुरू शिष्य परम्परा का आदर्श बताते हुए कहा कि उदासीनाचार्य भगवान श्रीचन्द्र महाराज के जिस प्रकार सम्पूर्ण राष्ट्र का भ्रमण कर जन-जन के कल्याण के कार्यक्रमों को प्राथमिकता के आधर पर लागू किया उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अखाड़े को जो गौरव प्रदान किया उसके लिए वे सदा स्मरणीय रहेगें। महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव महंत रविन्द्र पुरी ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि संत ही भगवान के संदेश को जन-जन तक पहुंचाते हैं। भारतीय संस्कृति के संवर्द्धन में सभी अखाड़ों का विशेष योगदान है।

जयराम आश्रमों के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने महंत संतोष मुनि को लोकोपकार की प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा कि वे समाज सेवा में ही परमात्मा का दर्शन करते थे। महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि ने संतों को श्री हरि का स्वरूप बताते हुए कहा कि समाज ही नहीं राजनेता भी संतों के आशीर्वाद को लालायित रहते हैं। श्रद्धांजलि सभा को श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह, महंत बलवंत सिंह ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत संतोष मुनि ने अपने जीवन में जो लोक कल्याण के कार्य किये हैं उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता, वह एक महान संत थे। सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, मुखिया महंत भगतराम, म. गोपाल सिंह, म. जगजीत सिंह, डॉ. स्वामी श्यामसुन्दरदास, म. सुखदेव मुनि, म. प्रेमदास, म. जयेन्द्र मुनि, म. दामोदरदास, स्वामी राघवानंद, स्वामी आत्मानंद, म. रंजय सिंह, म. त्रिवेणीदास, म. श्यामप्रकाश, मेयर मनोज गर्ग विधयक स्वामी यतीश्वरानंद, संजय गुप्ता, आदेश चौहान, विकास तिवारी, ओमप्रकाश जमदग्नि, समाजसेवी भूपेन्द्र कुमार, भगवत अग्रवाल, प्रमोद शर्मा, जयपाल सिंह आदि उपस्थित रहे।

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