उत्तर प्रदेशफीचर्डब्रेकिंगराज्यलखनऊ

एईएस,जेई रोगियों के उपचार की सुविधाओं में हुई वृद्धि: देवेश चतुर्वेदी

लखनऊ। प्रमुख सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण देवेश चतुर्वेदी ने आज जानकारी दी है कि ए0ई0एस0,जे0ई0 रोग की प्रभावी रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु विगत दो वर्षो में ए0ई0एस0ध्जे0ई0 से बचाव, उपचार एवं रोकथाम हेतु विभिन्न गतिविधियों का सम्पादन किया गया है। उन्होंने बताया कि विगत दो वर्षों से प्रदेश में प्रत्येक वर्ष में 03 चरणों में अन्तर्विभागीय सहयोग से विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाये गये।

इनमें विशेष कर स्कूली छात्रों,महिलाओं,ग्राम प्रधान,कृषकों,सूकर पालकों इत्यादि को ए0ई0एस0,जे0ई0 रोग व इससे बचने हेतु आवश्यक उपायों हेतु जागरूकता, ग्रामीण,शहरी क्षेत्रों की सफाई, शुद्व पेयजल के प्रयोग करने हेतु जागरूकता, रोगवाहक मच्छर के प्रभावी नियंत्रण हेतु फॉगिंग,लार्वीसाइडल स्प्रे, सूकर पालकों का संवेदीकरण आदि गतिविधियों का सम्पादन किया गया है। प्रमुख सचिव ने जानकारी दी है कि दस्तक अभियान के रूप में विगत दो वर्षों से वर्ष में तीन चरणों में अभियान चलाये गये, जिसमें घर-घर जाकर परिवारों के समस्त सदस्यों को ए0ई0एस0,जे0ई0 रोग से बचाव एवं उपचार के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की गई।

प्रमुख सचिव ने बताया कि नियमित टीकाकरण में गत दो वर्षों में लक्ष्य से बढ़कर सफलता प्राप्त की गयी है तथा अतिरिक्त संचरणकाल से पर्याप्त समय पूर्व ही जे0ई0 विशेष टीकाकरण अभियान के अन्तर्गत छूटे हुये 01 से 15 वर्ष आयुवर्ग का टीकाकरण किया गया है। प्रमुख सचिव ने बताया कि एईएस,जेई रोगियों की जांच,निदान की सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण किया गया है। रोगियों की उपचार हेतु गोरखपुर एवं बस्ती मण्डलों के समस्त जनपदों एवं बहराइच व लखीमपुर खीरी के जिलाध् संयुक्त चिकित्सालयों में पूर्व से स्थापित पी0आई0सी0यू0 में 102 वेन्टीलेटरयुक्त शैय्यायें उपलब्ध हैं, उनका सुदृढ़ीकरण करने के साथ ही ब्लाक स्तरीय 15 चिकित्सालयों में 3 वेन्टीलेटरयुक्त शैय्या सहित मिनी पी0आई0सी0यू0 क्रियाशील किये गये है, जिसके फलस्वरूप वर्तमान में प्रदेश में कुल-172 वेन्टीलेटरयुक्त शैय्या उपचार हेतु उपलब्ध हैं।

पी0आई0सी0यू0 एवं मिनी पी0आई0सी0यू0 में तैनात बालरोग विशेषज्ञों एवं स्टाफ नर्सों को सी0एम0सी0 बैलौर के प्रशिक्षकों के द्वारा हैण्ड ऑन प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है। प्रमुख सचिव ने जानकारी दी कि गोरखपुर, बस्ती मण्डल के समस्त जनपदों में पूर्व से क्रियाशील 104 ई0टी0सी0 के अतिरिक्त लखनऊ एवं देवीपाटन मण्डल के समस्त जनपदों तथा जनपद बाराबंकी में ब्लॉक स्तर पर भी कुल-96 इन्सेफ्लाईटिस ट्रीटमेन्ट सेन्टर (ई0टी0सी0) स्थापित एवं क्रियाशील किये गये, जिसके फलस्वरूप वर्तमान में कुल-200 ई0टी0सी0 क्रियाशील है, जिससे कि ए0ई0एस0ध्जे0ई0 रोगियों त्वरित उपचार प्रदान किया जा सके।

उन्होंने बताया कि उपरोक्त सभी उपचार केन्द्रों पर उपकरणों की क्रियाशीलता एवं औषधियों की उपलब्धता का पाक्षिक अनुश्रवण पाथ संस्था द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है। प्रमुख सचिव ने इसी क्रम में अवगत कराया है कि बी0आर0डी0 मेडिकल कालेज, गोरखपुर में भी विगत 02 वर्षों में ए0ई0एस0,जे0ई0 रोगियों के समुचित उपचार हेतु अनेकों व्यवस्थायें एवं सुविधायें उपलब्ध करायी गयी हैै, जिसमें अस्पतालों में शैय्या, वेन्टिलेटर, मल्टीपैरा मानीटर, इन्फ्यूजन पम्प, सीपीएपी की सुविधाओं में बड़े स्तर पर वृद्धि की गयी है। अस्पतालों में चिकित्सकों की उपलब्धता और नर्सों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया और स्टाफ नर्सों के पदों में वृद्धि भी की गयी। बड़े स्तर पर साफ-सफाई और व्यवस्थायें सुनिश्चित कराने के परिणाम स्वरूप इस रोग से ग्रसित मरीजों की संख्या में कमी आयी और मृत्युदर भी कम हुई।

ए0ई0एस0,जे0ई0 रोग से ग्रसित रोगियों को आधुनिकतम एवं प्रभावी उपचार प्रदान करने हेतु यहॉ तैनात समस्त चिकित्सकों एवं स्टाफ नर्सों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त बेहतर चिकित्सा सुविधा हेतु 06 अतिरिक्त चिकित्सा शिक्षकों एवं 200 स्टाफ नर्सों के पदों का सृजन किया गया है। इसके अतिरिक्त मेडिकल कालेज, गोरखपुर के औषधि में 04 गुने से अधिक तथा सामग्री एवं सम्पूर्ति मद में 03 गुने की वृद्वि की गयी है।

मेडिकल कालेज, गोरखपुर में सड़क व नालियों का निर्माण नियमित सफाई, प्रकाश व्यवस्था लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही भर्ती मरीजों के साथ आने वाले एक तीमारदार को भी नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था की गयी है। ए0ई0एस0,जे0ई0 रोग के बेहतर उपचार के लिए डिजिटल मोबाइल एक्स-रे मशीन एवं वैकटेक, कल्चर की व्यवस्था का भी प्रावधान किया गया है। प्रमुख सचिव ने स्पष्ट किया है कि ए0ई0एस0ध्जे0ई0 रोग के रोकथाम, नियंत्रण एवं उपचार हेतु उपरोक्त वर्णित गतिविधियों से ए0ई0एस0,जे0ई0 रोग पर प्रभावी नियंत्रण किये जाने की दिशा में गुणात्मक सुधार हुआ है।

Related Articles

Back to top button