एकता व शान्ति से रहने की प्रेरणा देता है धर्म
धार्मिक एकता को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ इण्टरनेशनल इन्टरफेथ कान्फ्रेन्स सम्पन्न
लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, अशर्फाबाद कैम्पस द्वारा सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित तीन दिवसीय ‘इण्टरनेशनल इन्टरफेथ कान्फ्रेन्स’ धार्मिक एकता को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ आज सम्पन्न हो गई। समापन अवसर पर इजिप्ट, अमेरिका, इंग्लैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, बांग्लादेश, कनाडा, रोमानिया, अल्जीरिया, मोरक्को, सउदी अरब, ईरान, नेपाल, श्रीलंका एवं भारत के विभिन्न प्रान्तों से पधारे विचारकों, दार्शनिकों, धर्माचार्यों, शिक्षाविदों व न्यायविदों ने एक स्वर से संकल्प व्यक्त किया कि धार्मिक एकता की स्थापना हेतु सतत् प्रयासरत रहेंगे तथापि सारे विश्व में खासकर भावी पीढ़ी को धर्म के मर्म से अवगत करायेंगे। विदित हो कि इण्टरनेशनल इण्टरफेथ कान्फ्रेन्स का आयोजन ‘द रोल ऑफ रिलीजन इन डेवलपमेन्ट’ थीम पर 12 से 14 अगस्त तक सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न देशों से पधारे विद्वजनों ने लगातार तीन दिनों तक धर्म के विभिन्न आयामों पर गहन चर्चा-परिचर्चा की एवं विश्व एकता एवं विश्व शान्ति के महान लक्ष्य हेतु ‘विभिन्न धर्मो के बीच समन्वय’ स्थापित करने पर जोर दिया।
सम्मेलन के अन्तिम व तीसरे दिन आज परिचर्चा का शुभारम्भ करते हुए बेहद बुजुर्गवार 101 वर्षीया सुश्री बेगम हमीदा हबीबुल्ला, अध्यक्ष अवध गर्ल्स कालेज, ने कहा कि हम सभी को मिल जुल कर रहना चाहिए क्योंकि हमारे देश को सभी धर्मों के सहयोग की जरूरत है। प्रो. सिराज खान, जार्डन रिसर्च फेलो, मैक्स प्लांक इन्स्टीट्यूट, हेडलबर्ग, जर्मनी, ने ‘द कन्वर्जेन्स ऑफ शरिया एण्ड इण्टरनेशनल लॉ: प्रॉस्पेक्ट्स फॉर द कान्स्टीट्यूशनल प्रोटेक्शन ऑफ फ्रीडम ऑफ ओपिनियन एण्ड बिलीफ इन इस्लामिक स्टेट’ विषय पर बोलते हुए शरीयत कानून व अन्य कानूनों के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रो. सिराज ने कहा कि देश के विकास में धर्म का अभिन्न रोल होता है। सभी धर्मों के सहयोग से ही राष्ट्र विकसित होता है। श्री अशोक सज्जनहार, पूर्व राजदूत एवं प्रेसीडेन्ट, इन्स्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल स्टडीज, ने ‘रोल ऑफ स्पिरिचुअल प्रिन्सिपल्स इन द एरिया ऑफ गवर्नेन्स’ विषय पर कहा कि सभी धर्मों को आपस में समानता के भाव से रहना आवश्यक है। आध्यात्मिकता वह समानता का धागा है जो सभी धर्मों को एकता के सूत्र में बाँधता है। डा. एम. डी. थॉमस, फाउण्डर-चेयरमैन एवं डायरेक्टर, इंस्टीट्यूट ऑफ ़हार्मनी एण्ड पीस स्टडीज, नई दिल्ली ने ‘मेकिंग एन इन्क्लूसिव सोसाइटी – द रोल ऑफ रिलीजन’ विषय पर अपने संबोधन में कहा कि समाज तभी विकसित होगा, जब सभी एक होकर कार्य करेंगे। हमें अंधविश्वास को दूर हटाना होगा। धर्म में खुलेपन की आवश्यकता है, तभी एकता होगी। प्रो. मोहम्मद इकबाल हुसैन ने ‘इन्टरफेथ डायलाग – वे ऑफ पीसफुल कोइक्जिस्टेन्स’ विषय पर, सुश्री पद्मिनी विश्वास ने ‘कॉन्सियशनेस इन ह्यूमन डेवलपमेन्ट: ए लेन्स थ्रु स्पिरिचुअल एक्टिविज्म’ विषय पर, प्रो. वीरेन्द्र गोस्वामी ने ‘कम्प्यूटेशन कॉरिलेशन ऑफ पीस एण्ड डेवलपमेन्ट विद रिलीजन, इनोवेशन स्पिरिचुअलिटी एण्ड एजूकेशन’ विषय पर सारगर्भित विचार रखे।
अपरान्ह सत्र में आयोजित समापन सत्र में ‘इण्टरनेशनल इन्टरफेथ कान्फ्रेन्स’ की संयोजिका व सी.एम.एस. अशर्फाबाद कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती तृप्ति द्विवेदी ने देश-विदेश से पधारे सभी विद्वजनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इतने महान धर्मावलम्बियों व शिक्षाविदों ने सी.एम.एस. में पधारकर अपने सारगर्भित विचारों से जन-जागरण किया एवं विद्यालय को सही मायने में तीरथ-धाम बनाया। इसका प्रकाश सर्वत्र फैलेगा व भावी पीढ़ी के मन-मस्तिष्क को ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित करेगा। उन्होंने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के माध्यम से सभी धर्मावलम्बियों के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर विचार-विमर्श से जो मित्रता व सद्भावना का वातावरण निर्मित हुआ है, वह इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है और यही भावना भावी पीढ़ी में सौहार्द व भाईचारे के लिए प्रेरणास्रोत साबित होगी।