उत्तर प्रदेशलखनऊ

एक जीते-जागते इन्सान की अनसुनी एवं अद्भुत कहानी

क्या आप जानते हैं कि लखनऊ विश्वविद्यालय में एक ऐसा छात्र भी था जो अत्यंत गरीब परिवार में जन्मा एवं उसने जूतों पर पॉलिश करके, एक-एक रोटी पर ट्यूशन पढ़ा कर और अख़बार बेच कर अपनी ट्यूशन फीस भरी तथा एक दिन लखनऊ यूनिवर्सिटी स्टूडेन्ट्स यूनियन का प्रेसीडेन्ट बना और आगे चलकर उसने 5 बच्चों से शुरू कर एक ऐसे स्कूल की स्थापना की जो आज गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स के अनुसार एक ही शहर में 55,000 बच्चों को शिक्षा देने वाला दुनियाँ का सबसे बड़ा स्कूल बन गया है?

1. एक-एक रोटी पर ट्यूशन पढ़ानाः- क्या आप जानते हैं कि 1955 में अलीगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव बरसौली से लखनऊ विश्वविद्यालय में एक ऐसा छात्र भी पढ़ने के लिए आया जो जूतों पर पालिश करके, एक-एक रोटी पर और बहुत कम फीस पर ट्यूशन पढ़ाकर और अखबार बेचकर विश्वविद्यालय की फीस भरता था? 

2. प्रधानमंत्री पं. नेहरू से अपनी स्टूडेन्ट यूनियन का उद्घाटनः- क्या आप जानते हैं कि आगे चलकर यही छात्र सन् 1959 में लखनऊ विश्वविद्यालय स्टूडेन्ट यूनियन का प्रेसिडेन्ट बना और उसने 2 मार्च 1959 को देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से अपनी स्टूडेन्ट यूनियन का उद्घाटन कराया?

3. भारत के राष्ट्रपति पद के लिये श्री वी. वी. गिरी को खड़ा कियाः– क्या आप जानते हैं कि जब वह छात्र 1969 में पाँच साल के लिए स्वयं तो उ.प्र. के अलीगढ़ जिले के (सिंकदराराऊ क्षेत्र से) निर्दलीय विधायक बना ही साथ ही उसने भारत के राष्ट्रपति पद के चुनाव में उस समय के उप-राष्ट्रपति श्री वी.वी. गिरी को भी समझा-बुझाकर कांग्रेस के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ा करा दिया और चुनाव लड़वाया और वे दिनाँक 24 अगस्त, 1969 को ‘भारत के प्रथम निर्दलीय राष्ट्रपति’ चुन लिए गये, जबकि केवल केन्द्र में ही नहीं अधिकांश राज्यों में भी कांग्रेस का शासन था ?

4. विश्व के सबसे बड़े स्कूल का निर्माणः- क्या आप जानते हैं कि इसी छात्र ने लखनऊ की गलियों में घण्टा पीट-पीट कर मात्र  5 बच्चों से लखनऊ में एक स्कूल सिटी मोन्टेसरी स्कूल खोला जो आज 55,000 छात्रों के साथ विश्व के सबसे बड़े स्कूल के रूप में ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’ मंे शामिल है? आज इस स्कूल ने देश में गुणात्मक शिक्षा देने वाले सर्वश्रेष्ठ स्कूल के रूप में अपनी पहचान भी बनायी है। 

5. यूनेस्को प्राइज़ फॉर पीस एजुकेशन से सम्मानितः- क्या आप जानते हैं कि इसी छात्र ने ‘जय जगत’, ‘विश्व बन्धुत्व’ एवं ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना से ओत-प्रोत होकर जिस स्कूल की स्थापना 1959 में की उसने लाखों छात्रों और समाज को ‘विश्व एकता’ एवं ‘विश्व शान्ति’ की प्रेरणा दी और इन्हीं प्रयासों के चलते भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मन्त्रालय ने इस छात्र द्वारा स्थापित स्कूल को ‘यूनेस्को प्राइज़ फार पीस एजुकेशन’ के लिये नामित किया। यूनेस्को की अन्तर्राष्ट्रीय जूरी ने सारे संसार से आये समस्त प्रस्तावों में से भारत सरकार के प्रस्ताव को चयनित किया और इस प्रकार सिटी मोन्टेसरी स्कूल को तीस हजार (30,000) अमेरिकी डालर के इस पुरस्कार से 23 सितम्बर 2002 को यूनेस्को के पेरिस में स्थित, मुख्यालय में एक विशेष समारोह में इसे सम्मानित किया । यूनेस्को द्वारा जगदीश गांधी के सम्मान में आयोजित इस भव्य समारोह में उस समय के देश के मानव संसाधन विकास मंत्री श्री मुरली मनोहर जोशी ने भाग लिया।

6. 1974 में लंदन में ‘शिक्षा द्वारा विश्व शांति’ विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय युवक सम्मेलन का आयोजनः- क्या आप जानते हैं कि इसी छात्र ने आज से 43 वर्ष पूर्व लंदन में 17 से 19 दिसम्बर, 1974 में ‘शिक्षा द्वारा विश्व शान्ति’ विषय पर एक ‘अन्तर्राष्ट्रीय युवक सम्मेलन’ का आयोजन किया जिसमें 47 देशों के 220 युवक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले अतिविशिष्ट प्रतिभागियों में इंग्लैण्ड के पर्यावरण मंत्री, माननीय श्री एन्थोनी क्रासलैण्ड, इंग्लैण्ड के संसद सदस्य, माननीय श्री बिल मैलौय एवं माननीय श्री सिडनी बिडवेल तथा लंदन बोरो ऑफ ईलिंग के मेयर श्री डब्ल्यू आर्थर सरी प्रमुख थे। लखनऊ विश्वविद्यालय का यह छात्र इस कान्फ्रेन्स को आयोजित करने के लिए पाँच महीने तक लंदन में टूरिस्ट वीज़ा पर रहा। इस सम्मेलन के अवसर पर इस छात्र ने एक इन्टरनेशनल फोरम ‘‘फोरम फॉर वर्ल्ड गवर्नमेन्ट’’ की भी स्थापना की।

 7. विश्व के न्यायाधीशों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनः- सात दशक पूर्व द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के शहर हिरोशिमा एवं नागासाकी में गिराये गये परमाणु बमों के बाद विश्व के ढाई अरब बच्चों का भविष्य दिन प्रतिदिन असुरक्षित और अन्धकारमय होता जा रहा है। क्या आप जानते है कि यही छात्र अपने स्कूल में विश्व के इन 2.5 (ढाई) अरब बच्चों तथा आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 पर विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन वर्ष 2000 से प्रतिवर्ष अपने स्कूल में आयोजित कर रहा है। इन सम्मेलनों में अब तक विश्व के 125 देशों से 1002 मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश एवं विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष भाग ले चुके हैं। जो इस बात पर निरन्तर विचार कर रहे हैं कि विश्व की संसद, विश्व का कानून, विश्व सरकार एवं विश्व न्यायालय कैसे बने, जिससे कि 2.5 अरब बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके और जिसका समय अब आ गया है।

8. स्कूल को संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने अपना एन.जी.ओ. बनायाः- क्या आप जानते हैं कि 6 जून, 2014 की न्छ.क्च्प् की मीटिंग में संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने इसी छात्र के स्कूल को अपना एन.जी.ओ. घोषित किया तथा दुनियाँ का यह अकेला विद्यालय है जिसे यूएनओ ने अपना एन.जी.ओ. घोषित किया है?

9. विश्व की पाँच यूनिवर्सिटिस से डॉक्टरेट डिग्रीः- क्या आप जानते हैं कि इसी छात्र को रूस की सरकार द्वारा संचालित बाशकिर स्टेट युनिवर्सिटी, अर्जेन्टीना की मैन्डोजा लॉ यूनिवर्सिटी और कन्सैप्शन लॉ यूनिवर्सिटी, मंगोलिया की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एवं स्टेट लॉ यूनिसर्विटी ऑफ पेरू सहित कुल 5 यूनिवर्सिटीज द्वारा इसे ऑनरेरी डाक्टरेट डिग्री से सम्मानित किया गया?

10. सूडान में मुख्य अतिथिः- क्या आप जानते हैं कि सूडान में 2 से 4 अप्रैल 2017 तक आयोजित हुए अफ्रीका महाद्वीप के 51 देशों के मुख्य न्यायधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में इसी छात्र को सूडान की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश माननीय जस्टिस डॉ. हैदर अहमद दाफल्लाह ने मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया तथा उसने अफ्रीका के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 के विषय पर सम्बोधित किया?

लखनऊ यूनिवर्सिटी का यह छात्र है – डॉ. जगदीश गाँधी

श्री जगदीश गाँधी का बचपन का नाम जगदीश प्रसाद अग्रवाल था और इनका जन्म 10 नवम्बर 1936 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के बरसौली गाँव में कच्ची मिट्टी के मकान में हुआ था। बचपन से ही वह महात्मा गाँधी के विचारों से प्रभावित थे। 30 जनवरी 1948 को जब 12 वर्षीय जगदीश को पता चला कि महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी गई है तो इस हृदय-विदारक घटना से दुःखी होकर अपने पिता से स्वीकृति लेकर उन्होंने अपना नाम जगदीश अग्रवाल से जगदीश गाँधी कर लिया और उसी दिन से महात्मा गाँधी की शिक्षाओं तथा उनके विचारों पर आजीवन चलने का संकल्प लिया। डा. जगदीश गांधी अपने विद्यालय सिटी मोन्टेसरी स्कूल के द्वारा विगत 59 वर्षों से अपने प्रत्येक बालक को गुणात्मक शिक्षा के साथ ही साथ महात्मा गांधी तथा संत विनोबा भावे की ‘जय जगत’, भारतीय संस्कृति के आदर्श वसुधैव कुटुम्बकम् तथा विश्व नागरिकता की शिक्षा की सीख बाल्यावस्था से दे रहे हैं। 

(प्रस्तुति – सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ)

Related Articles

Back to top button