एक दिन में अध्यादेश लाने की मांग कर रहे मराठा
आरक्षण के लिए महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन तेज़, फूंक रहे सरकारी सम्पत्ति
नई दिल्ली : महाराष्ट्र में मराठा समुदाय से जुड़ी संस्थाओं ने मंगलवार को राज्यव्यापी बंद की अपील की है, लेकिन मुंबई, पुणे, सतारा और सोलापुर को बंद से छूट दी गई है। कायगाव टोका में आंदोलनकारी लगातार दूसरे दिन भी जुटे और वहां मौजूद फायर ब्रिगेड की गाड़ी को आग लगा दी, जिसके बाद यहां पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प शुरू हो गई। बताया जा रहा है कि झड़प के दौरान एक पुलिस कॉन्स्टेबल बेसुध हो गए, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस कॉन्स्टेबल का नाम शाम काटगावकर बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि बुधवार को औरंगाबाद के क्रांतिचौक परिसर में मराठा आंदोलन जारी रखने वाले हैं।
उधर, सरकार की तरफ से कैबिनेट राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने मराठा नेताओं से बातचीत की पेशकश की है। सोमवार को औरंगाबाद में एक आंदोलनकारी की मौत हो गई थी और इसी के विरोध में मंगलवार को बंद की अपील की गई थी। जल्द आरक्षण की मांग कर रहे मराठा प्रदर्शनकारी औरंगाबाद में जलसमाधि आंदोलन कर रहे थे। इसी दौरान काका साहेब शिंदे नाम के एक व्यक्ति गोदावरी में कूद गए थे। 28 साल के काकासाहेब शिंदे पूर्व विधायक अण्णासाहेब माने के बेटे के ड्राइवर थे। 28 साल के काकासाहेब शिंदे औरंगाबाद के एक गांव के रहने वाले थे। उनके परिवार के पास खेती के लिए दो एकड़ ज़मीन थी, लेकिन खेती से उन्हें अधिक आय नहीं होती थी। इसी कारण से वो ड्राइविंग का काम करने लगे थे। काकासाहेब शिंदे सोमवार को अपने छोटे भाई अविनाश शिंदे के साथ कायगाव टोका में हुए आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। काकासाहेब को तैरना नहीं आता था, हमें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह कुछ ऐसा करने वाले हैं। अविनाश का आरोप है कि काकासाहेब को बचाने की कोशिश कर रहे लोगों को पुलिस ने रोक दिया था।उन्होंने कहा, प्रशासन को आंदोलन के बारे में पता था और आपात स्थिति से निपटने के लिए उन्हें पुख्ता बंदोबस्त करने चाहिए थे। काकासाहेब की मौत के बाद ही महाराष्ट्र में बंद बुलाने का फैसला किया गया। अहमदनगर, औरंगाबाद, लातूर, बीड, उस्मानाबाद ज़िलों में बंद बुलाया गया है।
मराठा समुदाय महाराष्ट्र में ओबीसी के दर्जे की मांग कर रहे हैं, इससे पहले भी ये लोग अपनी मांगों को लेकर पूरे राज्य में बड़े मार्च कर चुके हैं। औरंगाबाद से सांसद चंद्रकांत खैरे जब काकासाहेब के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने पहुंचे, तो भीड़ ने उनके विरोध में नारे लगाए, बताया जा रहा है कि उनके साथ हाथापाई की गई है। 2014 में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार ने मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों मे 16 प्रतिशत आरक्षण दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी और कहा था कि कुल आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज़्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता और इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि मराठा समुदाय आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का शिकार है।