ज्ञान भंडार
एक प्लांट के बंद होते ही उजड़ गया शहर, प्राइम लोकेशंस पर जमीन की कीमत आधी
रायपुर. प्रदेश में बेहद तेजी से औद्योगिक शहर के रूप में डेवलप हुआ शहर रायगढ़ एक पॉवर प्लांट और एक-दो और इकाइयों का उत्पादन आधा होने से इतनी बुरी तरह प्रभावित हुआ कि सालभर में 60 हजार से ज्यादा लोगों ने शहर ही छोड़ दिया।
ये दावा चैंबर के लोगों का है। इतनी आबादी एक साथ कम होने से शहर का डेवलपमेंट और इकॉनामी, दोनों धराशायी हैं। कारोबार आधा हो गया, व्यापारी अपना खर्च नहीं निकाल पा रहे हैं। हमेशा जाम रहनेवाले मुख्य सड़कों पर ट्रैफिक भी आधा हो गया है। डेढ़ साल से किसी भी बिल्डर ने नया रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट बाजार में नहीं उतारा है। पुराने प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी हो गई है, मकान खंडहर होने लगे हैं। रायगढ़ से लगे गांवों में मनरेगा का काम एक-तिहाई हो गया क्योंकि मजदूर नहीं है
रायगढ़ शहर ही नहीं, लगे गांव भी खाली
रायगढ़ शहर ही नहीं, लगे गांव भी खाली
चाय के स्टॉल से लेकर सब्जी बाजार तक, आधे कस्टमर भी नहीं हैं।शहर के पुराने प्रभावशाली कारोबारी और नागरिक तो यह भी दावा करने लगे हैं कि रायगढ़ अचानक 20 साल पीछे हो गया है। दैनिक भास्कर की विशेष टीम ने तीन दिन तक शहर का दौरा किया। सूने-सूने से शहर को लेकर बड़े-छोटे कारोबारियों और औद्योगिक संगठनों के अलावा प्रशासनिक अफसरों से भी बात की। सभी का कहना है कि सालभर में हजारों लोगों ने इतनी तेजी से रायगढ़ छोड़ा कि पूरा शहर ही सन्नाटे में डूब गया है। हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में 100 करोड़ रुपए फंसने की वजह से कई बिल्डर और कारोबारियों ने ओड़िशा, झारखंड और मध्यप्रदेश में प्रोजेक्ट शुरू कर दिए हैं। रायगढ़ शहर से लगे तमनार और आसपास के गांवों में पिछले साल मनरेगा में एक करोड़ का काम हुआ। जनवरी से दिसंबर तक यह आंकड़ा 40 लाख रुपए भी नहीं पहुंचा है। बड़ी यूनिट्स का उत्पादन घटने से 15 स्पंज आयरन फैक्ट्रियों में पांच बंद हो गईं, बाकी ने उत्पादन आधा कर दिया है। जाहिर है, बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है। इस वजह से किराए के मकान और कमरे तो खाली हुए ही हैं, खचाखच रहनेवाले होटलों में भी रोजाना एक-दो रूम से ज्यादा नहीं लग रहे हैं। ट्रांसपोर्टरों का दावा है कि परिवहन का काम आधा भी नहीं रह गया। हजारों ट्रक खड़े हो गए हैं, काम ही नहीं बचा है। उन्होंने यह भी कहा कि सैकड़ों गाड़ियों की किश्त सालभर से नहीं निकल रही है। छोटे ट्रांसपोर्टर तो डिफाल्टर होने की स्थिति में हैं।
एक प्लांट से गिरा शहर
सिर्फ एक पॉवर प्लांट का प्रोडक्शन आधा होने की वजह से पूरे शहर के ही सन्नाटे में आने का रायगढ़ देश का अनूठा उदाहरण हो सकता है। भास्कर टीम की पड़ताल के मुताबिक जिंदल ने पॉवर प्लांट में उत्पादन आधे से कम किया, तीन और कारखानों के कुछ बड़े प्रोजेक्ट औंधे मुंह गिरे, स्पांज आयरन प्लांट कम हुए और शहर बड़ी औद्योगिक छंटनी की चपेट में आ गया। हजारों मजदूर तथा कर्मचारियों की नौकरी खत्म हुए तो सब एक झटके से शहर छोड़ने लगे। छह महीने में ही आर्थिक रूप से मजबूत रायगढ़ की तस्वीर बदल गई। सड़कों पर ट्रैफिक कम हो गया, ज्यादातर दुकानें सूनी हैं। कारोबारियों का दावा है कि अनाज, दूध और मिठाइयों तक की बिक्री आधी हो गई है।
सिर्फ एक पॉवर प्लांट का प्रोडक्शन आधा होने की वजह से पूरे शहर के ही सन्नाटे में आने का रायगढ़ देश का अनूठा उदाहरण हो सकता है। भास्कर टीम की पड़ताल के मुताबिक जिंदल ने पॉवर प्लांट में उत्पादन आधे से कम किया, तीन और कारखानों के कुछ बड़े प्रोजेक्ट औंधे मुंह गिरे, स्पांज आयरन प्लांट कम हुए और शहर बड़ी औद्योगिक छंटनी की चपेट में आ गया। हजारों मजदूर तथा कर्मचारियों की नौकरी खत्म हुए तो सब एक झटके से शहर छोड़ने लगे। छह महीने में ही आर्थिक रूप से मजबूत रायगढ़ की तस्वीर बदल गई। सड़कों पर ट्रैफिक कम हो गया, ज्यादातर दुकानें सूनी हैं। कारोबारियों का दावा है कि अनाज, दूध और मिठाइयों तक की बिक्री आधी हो गई है।
ऐसे सस्ती हुई प्रापर्टी
लोकेशन | बंगले का रेट | मौजूदा रेट |
फ्रैंड्स कॉलोनी | 1.25 करोड़ | 60 लाख |
पटेलपाली | 1.50 करोड़ रु. एकड़ | 75 लाख रु. एकड़ |
ऐसे सस्ती हुई प्रापर्टी
वर्ष | टारगेट | कुल रजिस्ट्री |
2015-16 | 30 करोड़ | 22 करोड़ |
2016-17 | 39 करोड़ | अब तक 20 करोड़ |
सालभर से कोई बड़ा रिहायशी प्रोजेक्ट नहीं आया
केस-1: किराया घटा
कृष्णा विहार में संजय अग्रवाल गए तो वहां टू-बीएचके फर्निश्ड मकान का किराया 18 हजार था। सालभर पहले यही 22 हजार रु. हो गया। यह देखकर उन्होंने कालोनी में खुद मकान बनाया। किराए के लिए फर्स्ट फ्लोर में निर्माण कराया। इसे 8 हजार में लेने को तैयार नहीं है।
कृष्णा विहार में संजय अग्रवाल गए तो वहां टू-बीएचके फर्निश्ड मकान का किराया 18 हजार था। सालभर पहले यही 22 हजार रु. हो गया। यह देखकर उन्होंने कालोनी में खुद मकान बनाया। किराए के लिए फर्स्ट फ्लोर में निर्माण कराया। इसे 8 हजार में लेने को तैयार नहीं है।
केस-2 : छह महीने से कमरे खाली
सिंघनपुर के सीपी श्रीवास्तव ने कारखाने के मजदूरों के लिए 50 छोटे-बड़े कमरे बनवा रखे हैं। जिंदल का एक प्लांट बंद हुआ, सहयोगी यूनिट भी बंद होने लगीं तो मजदूर रायगढ़ छोड़ गए। कमरे छह महीने खाली रहे। अब वहां मुर्गियां पाली जा रही हैं।
केस-3: गाडि़यां खड़ीं
ट्रांसपोर्टरों की गाड़ियां एक दिन में 25 हजार रुपए से ज्यादा कमाती थीं। एक ट्रक एक ट्रिप में करीब 2500 से 5000 रुपए बचाता था। अब 1200 रुपए भी नहीं बच रहे हैं। इसीलिए शहर की हर खाली जगह पर बड़ी संख्या में मालवाहन खड़े नजर आते हैं, वह भी कई-कई दिन तक।
ट्रांसपोर्टरों की गाड़ियां एक दिन में 25 हजार रुपए से ज्यादा कमाती थीं। एक ट्रक एक ट्रिप में करीब 2500 से 5000 रुपए बचाता था। अब 1200 रुपए भी नहीं बच रहे हैं। इसीलिए शहर की हर खाली जगह पर बड़ी संख्या में मालवाहन खड़े नजर आते हैं, वह भी कई-कई दिन तक।
सबने माना हजारों छोड़ गए
रायगढ़ से जो लोग बाहर गए हैं, वे दूसरे राज्यों के हैं। सभी रोजगार के लिए यहां रह रहे थे। ऐसे लोग हजारों में हैं। जहां तक स्थानीय लोगों का सवाल है, उनके पास रोजगार है और उन्होंने शहर नहीं छोड़ा है।
अलरमेल मंगई डी, कलेक्टर रायगढ़
रायगढ़ से जो लोग बाहर गए हैं, वे दूसरे राज्यों के हैं। सभी रोजगार के लिए यहां रह रहे थे। ऐसे लोग हजारों में हैं। जहां तक स्थानीय लोगों का सवाल है, उनके पास रोजगार है और उन्होंने शहर नहीं छोड़ा है।
अलरमेल मंगई डी, कलेक्टर रायगढ़
आधा हो गया है कारोबार
रायगढ़ के पॉवर प्लांट में उत्पादन कम होने का भारी असर पड़ा है। 60 हजार से ज्यादा लोग शहर छोड़ चुके है। कारोबार आधा हो गया है। जिस तेजी से शहर डेवलप हो रहा था, उसी तेजी से अब पीछे हुआ है।”
रायगढ़ के पॉवर प्लांट में उत्पादन कम होने का भारी असर पड़ा है। 60 हजार से ज्यादा लोग शहर छोड़ चुके है। कारोबार आधा हो गया है। जिस तेजी से शहर डेवलप हो रहा था, उसी तेजी से अब पीछे हुआ है।”