एक बार फिर भारत की बेटी ने किया देश का नाम रौशन, बनी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की मैनेजिंग डाइरेक्टर
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एक बार फिर भारत की बेटी ने किया देश का नाम रौशन
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की मैनेजिंग डाइरेक्टर क्रिस्टीन लेगार्ड ने संस्था में चीफ इकोनॉमिस्ट के तौर पर भारत की गीता गोपीनाथ के नाम का ऐलान किया। आईएमएफ के रिसर्च डिपार्टमेंट में इकोनॉमिक काउंसलर और डाइरेक्टर के तौर पर गीता की नियुक्ति निश्चित तौर पर एक उपलब्धि है। भारत में जन्मीं अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ को चीफ इकॉनमिस्ट नियुक्त किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बाद यह दूसरी बार है, जब किसी भारतीय को इस पद की जिम्मेदारी दी गई है। गीता के पिता गोपीनाथ बेटी की इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। उन्होंने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, ”14 सितंबर को गीता परिवार से मिलने बेंगलुरु आई थी। उसी दिन उसे आईएमएफ चीफ का कॉल आया। आईएमएफ चीफ ने मेरी बेटी के बताया कि उसका नाम प्रतिष्ठित पोस्ट के लिए फाइनल किया गया है। बेटी ने तुरंत ये बात मुझे बताई, लेकिन कहा कि ऑफिशियल अनाउंसमेंट होने तक इसे गुप्त रखा जाए। मैंने 16 दिन तक इस खबर को सबसे छिपाए रखा। अब दिल खोलकर बेटी की कामयाबी की खुशियां मना सकूंगा।”
कौन है गीता गोपीनाथ
सन् 1971 में केरल में गीता का जन्म हुआ और फिर उन्होंने स्कूली की पढ़ाई वहीं से की। इसके बाद गीता दिल्ली आ गईं और यहां पर लेडी श्रीराम कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन किया। गीता ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन से मास्टर्स किया। गीता को माइक्रो-इकोनॉमिक्स में महारत हासिल है। साल 2001 में उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद उसी साल उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम शुरू कर दिया। वर्ष 2005 से वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ा रही हैं। गीता आईएमएफ के जिस विभाग की डाइरेक्टर बनी हैं उसका रोल संस्था में सबसे अहम है। आईएमएफ का रिसर्च डिपार्टमेंट दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर अध्यन करके सदस्य देशों के लिए जरूरी नीतियां तैयार करता है। साथ ही साथ उन मुद्दों पर रिसर्च को अंजाम देता है जो आईएमएफ के लिए अहम होते हैं। इसके अलावा दुनिया की अर्थव्यवस्था अगले कुछ वर्षों में कैसी होगी इस बारे में भी अनुमान लगाना आईएमएफ का ही काम है। गीता, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के बाद दूसरी भारतीय हैं जिन्हे इस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गीता के पति इक़बाल धालीवाल भी इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं और 1995 बैच के आईएएस टॉपर थे। इक़बाल आईएएस की नौकरी छोड़ प्रिंसटन पढ़ने चले गए थे। गीता अपने पति और एक बेटे से साथ कैम्ब्रिज में रहती हैं। गीता वर्तमान समय में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडीस की प्रोफेसर हैं। लेगार्ड ने गीता की नियुक्ति करते हुए कहा, ”गीता दुनिया के कुछ अर्थशास्त्रियों में से एक हैं जिनके पास असाधारण शैक्षिक उपलब्धता है और उनके ट्रैक रिकॉर्ड ने भी उनकी योग्यता को साबित किया है।” साल 2001 में गीता ने शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर का पद संभाला और फिर साल 2005 में वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी चली गईं। साल 2010 में गीता यहां पर फुल टाइम प्रोफेसर बन गईं। वह अमेरिकन इकोनॉमिक रिव्यू की को-एडीटर हैं। इसके अलावा नेशनल ब्यूरों ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च (एनबीईआर) में इंटरनेशनल फाइनेंस एंड माइक्रो-इकोनॉमिक्स प्रोग्राम की भी को-डाइरेक्टर हैं। गीता ने आईएमएफ के पूर्व इकोनॉमिक काउंसल केनेथ रोगॉफ के साथ मिलकर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स की हैंडबुक भी लिखी है।