दिल्लीराज्य

एक माह से एम्स के चक्कर लगा रही ब्रेन ट्यूमर की मरीज, अब मिली 20 फरवरी-2020 की तारीख

बड़ी उम्मीद और हिम्मत के बाद जान-पहचान के लोगों से पैसे लेकर इलाज के लिए एम्स आए थे और एक माह से अधिक समय तक इलाज के लिए एम्स में भटकते रहे। जांच-पड़ताल के बाद बीमारी की पहचान कर ली गई और सर्जरी कराने की सलाह दी गई। लेकिन सर्जरी के लिए तीन साल बाद आने के लिए कहा है।

यह कहना है मरीज रामरति देवी (65) के बेटे गुलाब ठाकुर का कहना है कि खेती-बारी करके घर का खर्चा चलता है मां का इलाज कराने दिल्ली आए थे लेकिन अब लगता नहीं कि मां की बीमारी ठीक हो पाएगी।

मां दर्द से परेशान है और उसे उठने-बैठने में भी दिक्कत है, लेकिन निजी अस्पताल में इलाज कराने में सक्षम नहीं हूं इसलिए वापस अपने घर बिहार लौटने को मजबूर हूं। मां यदि बच गई तो सर्जरी के लिए दी तारीख 20 फरवरी-2020 में दिल्ली आने की कोशिश करुंगा।

‘मां बची रही तो 2020 में फिर लेकर आऊंगा’

रामरति देवी को इलाज के लिए एक माह पहले एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग लाया गया था। चिकित्सीय जांच-पड़ताल के बाद चिकित्सकों ने ब्रेन में ट्यूमर होने की बात कही और सर्जरी की सलाह दी।

सर्जरी के पहले चार यूनिट ब्लड और करीब 32 हजार रुपये जमा कराने के लिए कहा। इसके लिए परिजन तैयार थे लेकिन सर्जरी की तारीख 20 फरवरी-2020 दे दी गई।

इलाज करने वाले चिकित्सक न्यूरोसर्जन डॉ.दीपक अग्रवाल ने कहा कि मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा है कि न चाहते हुए भी मरीजों को लंबी तारीख देनी पड़ती है। यदि मरीज की हालत बेहद गंभीर होती है तो इतनी लंबी तारीख नहीं दी जाती है।

उधर, एम्स प्रवक्ता डॉ.अमित गुप्ता का कहना है कि एम्स में मरीजों की इतनी भीड़ होती है कि सबको समय पर इलाज मिल पाना मुश्किल हो जाता है। भरसक प्रयास किया जाता है कि मरीजों को बिना इलाज के न लौटाया जाए। ऐसे मामलों में बीमारी की गंभीरता के आधार पर सर्जरी के लिए तारीख दी जाती है।

पहले भी दी गई है इतनी लंबी तारीख

इससे पहले भी मरीजों को न्यूरोसर्जरी विभाग में सर्जरी के लिए लंबी तारीख दी जाती रही है। कुछ वर्ष पूर्व एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग में सर्जरी के लिए करीब सात वर्ष की तारीख दी गई थी, पहले की तुलना में सुधार तो हुआ है लेकिन यह सुधार नाकाफी है।

विशेषज्ञों का कहना है कि देश के बाकी राज्यों में शुरु किए गए एम्स में यदि इलाज मिलना शुरु हो जाता और दूसरे सरकारी अस्पताल में यदि व्यवस्था को मजबूत किया जाता तो मरीजों को इतनी लंबी तारीख नहीं मिलती।

Related Articles

Back to top button