एक रुपए के नोट को लेकर RTI से बड़ा खुलासा, जानें क्या है इसकी असली लागत
सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि मनाही के बावजूद भी एक रुपए के नोट की छपाई बदस्तूर जारी है। जानकारी के मुताबिक इसकी छपाई से सरकार पर बोझ पड़ने के साथ ही इंटरनेट पर इसकी कालाबजारी भी हो रही है। बता दें कि एक रुपए का नोट आसानी से मार्केट में उपलब्ध नहीं होता है, इसके लिए कई गुना कीमत देनी पड़ती है।
कैसे होता है रुपए की नोट की छपाई में नुकसान?
आरटीआई से प्राप्त जानकारी के मुताबिक एक रुपए के नोट छापने से सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है। दरअसल एक रुपए के नोट की वास्तविक लागत 1.14 रुपए आती है।
6 मार्च को किया गया जारी
आरटीआई वर्कर सुभाष अग्रवाल ने इस संबंध में अपील दायर की थी। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 6 मार्च 2015 को एक रुपए का नोट फिर से जारी किया गया है। आरटीआई के माध्यम से करेंसी एंड कॉइनेज डिविजन के डिप्टी सेक्रेटरी जी. पार्थसारथी का कहना है कि एक रुपए के 50 लाख नोट हर साल जारी किए जा सकते हैं।
क्यों मना किया गया था छपाई से?
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार को एक रुपए का नोट छापने के लिए मना किया था। मना करने की असल वजह इसकी लागत और नोट का कम टिकाऊ होना है।