एक वर्ष में दो बार कर सकते हैं स्वीट कॉर्न की खेती
शॉपिंग मॉल में फिल्म देखते समय ब्रेक के दौरान आपने भुट्टे का स्वाद जरूर चखा होगा. बिल्कुल उसी स्वीट कॉर्न की बात कर रहे हैं, जो प्रति प्लेट लगभग 80 रुपये मिलता है. शक्कर के दाने की तरह मीठा यह भुट्टा कहीं बाहर से नहीं, बल्कि एग्रीकल्चर विवि समेत प्रदेश के कुछ जिलों से लाया जाता है. ट्रायल के तौर पर पिछले दो वर्ष से विवि में संचालित सुनियोजित कृषि विकास केन्द्र (पीएफडीसी) के तहत स्वीट कॉर्न फसल लगाई गई है. इसके दाने शक्कर की मिठास से कम नहीं हैं. हालांकि अनुसंधान कार्य के अंतर्गत चल रही इस योजना को लेकर किसान काफी उत्साहित हैं. वहीं पीएफडीसी के प्रमुख अन्वेषक डॉ. घनश्याम साहू ने बताया कि मीठा मक्का किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकता है. सुनियोचित तरीके से किसानी करने की जरूरत है.
कम अवधि में तैयार इसकी फसल की अवधि 70 से 90 दिन तक होती है, जिसे प्रदेश में वर्षभर में दो बार खेती की जा सकती है. खरीफ के मौसम में जून-जुलाई और अक्टूबर से 15 नवबंर तक बोनी करने से अच्छी पैदावार होगी. वहीं स्वीट कॉन को सीधे कच्चा या उबालकर, भुनकर भी खाया जा सकता है. इसके अलावा यह फसल सभी तरह की मिट्टयों में उगाया जा सकता है. वहीं संपूण भारत वर्ष के लिए अनुसंक्षित किस्म खरीफ के मौसम में स्वीट ग्लोरी, एचएससी-1 और खरीफ मौसम में स्वीट-70, स्वीट-72 है.इसकी पैदावार औसतन खरीफ में 110 से 120 क्विंटल प्रति हेक्टयर. रबी मौसम में 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरा भुट्टे की होती है.
टपक सिंचाई बेहतर डॉ. साहू ने बताया कि मक्का की खेती करने के दौरान यदि किसान टपक सिंचाई के साथ पलवार लगाकर करे. तो उत्पादन क्षमता में बढोत्तरी होगी. इसके अलावा खेती के लिए बहुत अधिक रकबे की भी जरूरत नहीं है. जितनी भी खेती उपलब्ध हो इस फसल को लगाया जा सकता है. जो किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के साथ मिट्टी को भी उपजाऊ बनाने का कार्य करता है. आय में बढ़ोतरी मीठा मक्का किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकता है. बस सुनियोचित तरीके से किसानी करने की जरूरत है. इसकी पैदावार हर मिट्टी में की जा सकती है.