पवित्र मास श्रावण में भक्तजन शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर जलाभिषेक करते हैं वहीं एक शिवलिंग ऐसा भी है, जिसे 9 वर्षों से गंगाजल का इंतजार है। देश की राजधानी के निकट गुरुग्राम के एक गांव बाघनकी में ऐसा शिवलिंग है जहां भक्तों ने नौ वर्षों से जल नहीं चढ़ाया। सावन में हरियाणा के बाघनकी गांव में सावन आते ही मातम पसर जाता है। इतना ही नहीं गांववासियों को कांवड़ियों के भगवा रंग से भी नफरत हो चुकी है। यह गांव गुड़गांव से करीब 28 किलोमीटर दूर है। शिव और कांवड़ से यहां के लोगों का हमेशा से बैर नहीं था। साल 2010 से पहले तक सावन आते ही यहां भी पहले शिव के जयकारों से पूरा गांव गूंजने लगता था। मगर 2 अगस्त 2010 में एक ऐसा हादसा हुआ जिससे गांव वालों ने शिव से नाता तोड़ लिया। अब इस गांव की महिलाएं शिवरात्रि का व्रत तक नहीं रखती है और ना कोई शिव मंदिर जाता है। वो दिन है और आज का दिन है, गांव वालों के आंसू अभी भी थम नहीं पाए हैं। एक साथ 10 परिवारों के चिराग बुझ गए।
दर्जन भर महिलाएं विधवा हो गईं। इस हादसे ने बूढ़े माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा छीन लिया। इनमें से कई ने तो उस घटना के बाद से गांव ही छोड़ दिया। बहनों ने उस साल राखी का त्योहार नहीं मनाया। दरअसल उस साल हर साल की तरह गांव के 22 युवाओं सहित साथ कुल 24 लोगों का दल कांवड़ यात्रा पर निकला और गुप्तकाशी के पास एक सड़क हादसे में मारा गया। गांव में एक साथ 22 युवाओं का शव देखकर लोगों को ऐसा सदमा लगा जिससे वह अब तक उबड़ नहीं पाए हैं। पिछले 9 साल से इस मंदिर में साफ-सफाई नहीं की गई है। इस वजह से यहां जंगली घास उग आई है। हालांकि कुछ लोग फिर मंदिर में निर्माण कार्य शुरू करवाने की बात कर रहे हैं। ताकि यहां फिर से पूजा-अर्चना शुरू की जा सके।